रांची : गुरूवार को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पदम पुरस्कार की घोषणा हुई। देश के 34 विभूतियों को पद्म पुरस्कार दिया जाएगा जो देश के गुमनाम नायक है। झारखंड की चामी मुर्मू को भी पद्म पुरस्कार से सम्मानित किये जाने की घोषणा हुई है।
चामी मुर्मू का जीवन जनजातीय पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण के नाम रहा है। उन्हे नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। 2019 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हे पुरस्कार दिया था। पिछले 28 सालों में चामी 28 हजार महिलाओं को स्वरोजगार दे चुकी है।
सरायकेला खरसावां की रहने वाली चामी के प्रयास से 30 लाख से ज्यादा वृक्षारोपण किया जा चुका है। लकड़ियों की अवैध कटाई और नक्सल गतिविधियों से सुरक्षा को लेकर चामी कई सालों से काम कर रही है। अपने एनजीओ ‘सहयोगी महिला’ के माध्यम से प्रभावशाली पहल की सुरक्षित मातृत्व, एनीमिया और कुपोषण में कार्यक्रम, और किशोरियों की शिक्षा पर जोर दिया।
पहली महिला महावत पारबती बरुआ, आदिवासी पर्यावरणविद् चामी मुर्मू, मिजोरम की सामाजिक कार्यकर्ता संगथंकिमा को पद्म श्री से सम्मानित किया गया. जले हुए पीड़ितों के लिए काम करने वाली प्लास्टिक सर्जन प्रेमा धनराज, अंतरराष्ट्रीय मल्लखंभ कोच उदय विश्वनाथ देशपांडे को पद्मश्री से सम्मानित किया गया । भारत के पहले सिकल सेल एनीमिया नियंत्रण कार्यक्रम शुरू करने वाले यज्दी मानेकशा इटालिया को पद्म श्री से सम्मानित किया गया । भारत रत्न के बाद भारत में दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान माना जाता है।
चामी मुर्मू को पदम पुरस्कार मिलने पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने पोस्ट कर लिखा कि सरायकेला खरसावां (झारखंड) के राजनगर की चामी मुर्मू जी को #पद्मश्री पुरस्कार मिलने पर बहुत बधाई और शुभकामनाएं। उन्हें देश भर में ‘सरायकेला की सहयोगी’ के नाम से भी जाना जाता है।चामी मुर्मू जी ने पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है।