राँची. झारखंड में जेएमएम ने राज्यपाल के उस बयान को लेकर करारा जवाब दिया है जिसमें सीपी राधाकृष्णन ने बीस जनवरी को सीएम आवास के बाहर सीआरपीएफ जवानों के आने पर एफआईआर को गलत बताया । झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्यपाल के बयानों का हवाला देते हुए कई सवाल पूछे हैं और आरोप लगाया कि राज्यपाल राज्य के विषयों में दखलअंदाजी कर रहे हैं ।
जेएमएम ने पूछा है कि -माननीय राज्यपाल को यह ज्ञात हो कि 20 तारीख को ईडी द्वारा जब मुख्यमंत्री के बयान दर्ज करने के क्रम में राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त सुरक्षा कवच में ईडी के सात अधिकारी मुख्यमंत्री आवास निवास पर 1 बजे पहुंचे । अचानक 3 बजे लगभग आठ बसों में भरकर सीआरपीएफ के लगभग 500 जवान कमांडेन्ट और आईजी ने नेतृत्व में पहुंचे और अचानक सीएम आवास के पूर्व और पश्चिम दिशा को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की । रांची पुलिस ने बिना पूर्व सूचना के आने के बारे में पूछा तो 30-40 मिनट के बाद जबरन सीआरपीएफ जवान अपने बैरक लौट गए ।
जेएमएम ने राज्यपाल से पूछा कि – क्या राज्यपाल महोदय को यग नहीं पता कि रांची जिला दण्डाधिकारी ने ऐसी किसी तरह की मांग ने तो भारत के गृह मंत्रालय को की थी या किसी अर्द्ध सैनिक बल को थी ?
जेएमएम ने कहा कि पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं से सीएम आवास के पास आने का आह्वन नहीं किया था । झारखंड मुक्ति मोर्चा ने यह भी कहा कि राजनीति दल का कार्यकर्ता न तो गूंगा होता और न ही बहरा होता है और ना ही अंधा और ना ही नासमझ ।
जेएमएम ने इशारों-इशारों में बीजेपी पर निशाना साधते हुए राज्यपाल से कहा कि राज्य का एक विशेष राजनीतिक दल के कार्यकर्ता समाज विरोधी और संप्रदाय विरोधी और आपराधिक प्रवृति का होता है ।
जेएमएम ने आरोप लगाया कि राज्यपाल ने मतदाता दिवस के दिन जो बयान दिया वो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का अंग्रेजी अनुवाद था ।
जाहिर है जेएमएम और राज्यपाल के बीच जुबानी जंग तेज है । पड़ोसी राज्य बिहार में भी सियासी खेल जारी है ऐसे में देखना यह होगा कि झारखंड का मौजूदा राजनीतिक दांव-पेंच में कौन भारी पड़ता है ।