रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में कांट्रेक्ट आधारित असिस्टेंट प्रोफेसरों की नई नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। अदालत ने संजिता कच्छप और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार के जारी विज्ञापन की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया।
झारखंड हाईकोर्टका आदेश
न्यायमूर्ति आनंद सेन की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि मौजूदा कांट्रेक्ट कर्मचारियों को नए कांट्रेक्ट कर्मचारियों से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है। अदालत ने इस संदर्भ में ‘मनीष गुप्ता बनाम जन भागीदारी समिति’ मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा करना कानून के खिलाफ है।
असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्तियां अटकी
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स और अमर्त्य चौबे ने पक्ष रखा, जबकि राज्य सरकार की ओर से डॉ. अशोक कुमार सिंह, शेरोन टोप्पो और ऋषभ कौशल उपस्थित थे। याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि सरकार द्वारा जारी नया विज्ञापन उन कांट्रेक्ट कर्मचारियों को हटाने के लिए लाया गया है, जो पहले से सेवाएं दे रहे हैं।
झारखंड सरकार को जवाब देने का निर्देश
अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में आठ सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करे। साथ ही, आठ हफ्तों के बाद इस मामले को “स्वीकृति” (Admission) श्रेणी में सूचीबद्ध किया जाएगा।
क्या है मामला?
झारखंड सरकार ने 12 मार्च 2024 को एक विज्ञापन जारी कर जरूरत आधारित असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती की घोषणा की थी। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह विज्ञापन पहले से कार्यरत कांट्रेक्ट प्रोफेसरों की जगह नए प्रोफेसरों की भर्ती के लिए था, जो कानूनन गलत है। हाईकोर्ट ने इस पर हस्तक्षेप करते हुए नियुक्ति प्रक्रिया को रोक दिया है।