हजारीबाग: हजारीबाग खिरगांव में आतंकियों को पनाह देने के आरोपी जमालुद्दीन उर्फ नासिर को 23 साल बाद साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश रंजीत कुमार की अदालत ने आदेश जारी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष पुख्ता सबूत पेश करने में असफल रहा, जिसके कारण नासिर को आरोपमुक्त कर दिया गया।
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क्या था मामला
28 जनवरी 2002 को दिल्ली पुलिस और हजारीबाग पुलिस को सूचना मिली थी कि कोलकाता स्थित अमेरिकन सेंटर पर हुए हमले के दो आतंकवादी हजारीबाग के खिरगांव इलाके में छिपे हुए हैं। संयुक्त पुलिस बल ने गुप्त ऑपरेशन के तहत इलाके को घेर लिया। पुलिस को देखते ही दोनों आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जिसके जवाब में दोनों को मुठभेड़ में मार गिराया गया। मारे गए आतंकवादियों की पहचान मो. इदरीस उर्फ वाजिद उर्फ जाहिद (पिता अब्दुल माजिद) और सलीम के रूप में हुई थी। पुलिस चार्जशीट के अनुसार, जमालुद्दीन उर्फ नासिर पर इन आतंकियों को किराए का कमरा दिलाने और शरण देने का आरोप था। इस मामले में उसके खिलाफ सदर थाना कांड संख्या 39/2002 के तहत विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया था, जिसमें भारतीय दंड संहिता के तरह 121 देश के खिलाफ युद्ध छेड़ना भी शामिल था। इसके अलावा आर्म्स एक्ट, देशी अधिनियम 13 और 14 शामिल थे। सुनवाई के दौरान अदालत में 12 अभियोजन गवाहों का बयान दर्ज कराया गया, जिसमें अनुसंधानकर्ता और तत्कालीन थाना प्रभारी कौशल्यानंद चौधरी भी शामिल थे। बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अजीत कुमार ने पैरवी की। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाया।