डेस्कः असम के IPS अधिकारी गौरव उपाध्याय 14 साल की बच्ची के साथ यौन शोषण के छह साल पुराने मामले में फंसते नजर आ रहे है। विशेष अदालत ने उनके खिलाफ पॉक्सो अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है। असम के IPS अधिकारी गौरव उपाध्याय के खिलाफ आरोप तय।
कार्बी आंगलोंग में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अदालत के विशेष न्यायाधीश आर लाल ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी द्वारा पीड़िता पर यौन उत्पीड़न की दो घटनाएं हुईं। वो घटना के समय उस जिले का पुलिस अधीक्षक थे। पहला अपराध डिफू में एसपी बंगले में हुआ। दूसरा होटल के एक कमरे में हुआ, जहां पीड़िता अपनी मां और भाई के साथ रह रही थी।
रांची-पतरातू रोड़ पर भू-धंसान, निकल रहा है धुआं, यातायात को किया गया बंद
यह घटना दिसंबर 2019 में हुई थी। उस वक्त पीड़िता की उम्र 14 साल थी। उसकी मां की तहरीर के आधार पर जनवरी 2020 में पुलिस ने केस दर्ज किया था। इसके बाद केस की जांच CID को सौंप दी गई थी, जिसने IPS अधिकारी के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था। उत्तर प्रदेश के रहने वाले 2012 बैच के IPS गौरव उपाध्याय वर्तमान में राज्य परिवहन विभाग के अतिरिक्त सचिव हैं।
जसीडीह के पास जयनगर-राऊरकेला एक्सप्रेस के एसी कोच में लूट, चिल्लाते रहे यात्री नहीं आई जीआरपी
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता के बयान के आधार पर IPC की धारा 354 और 354 A के तहत आरोप तय किए जाते हैं। ये मामला वर्षों से पूर्व-परीक्षण चरण में लंबित है, जबकि ऐसे मामलों में त्वरित सुनवाई के निर्देश सुप्रीम कोर्ट और विधायिका द्वारा स्पष्ट रूप से दिए जा चुके हैं। इसके बावजूद इस मामले को लगातार लंबित रखा गया है।
विशेष न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इन परिस्थितियों में पॉक्सो अधिनियम की धारा 10 और IPC की धारा 354, 354ए के तहत आरोप तय किए जाते हैं। पॉक्सो अधिनियम की धारा 10 गंभीर यौन हमले के लिए सजा से संबंधित है, जबकि IPC की धारा 354 और 354ए महिला की शील भंग करने या यौन उत्पीड़न से संबंधित अपराधों के लिए है।








