पटना: बिहार सरकार के चर्चित आईएएस अधिकारी संजीव हंस और गुलाब यादव की मुसीबतें कम होती नजर नहीं आ रही है। एक तरफ जहां ये दोनों ईडी के रडार पर है, वही दूसरी ओर इन दोनों पर चल रहे पटना के रूपसपुर थाने में दर्ज गैंगरेप का केस जांच में सत्य पाया गया है। इन दोनों पर महिला वकील ने गैंगरेप का आरोप लगाते हुए रूपसपुर थाने में पिछले साल केस दर्ज किया था। एसएसपी राजीव कुमार मिश्रा ने प्रतिवेदन टू में रूपसपुर थाना में दर्ज कांड संख्या 18 /23 को सत्या कर दिया है। एसएसपी ने जांच रिपोर्ट के सही करने में सिटी एसपी पश्चिम की रिपोर्ट को आधार बनाया गया है। हालांकि पटना हाईकोर्ट ने संजीव हंस और गुलाब यादव पर किसी तरह की कार्रवाई करने पर रोक लगा रखी है।
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संजीव हंस और गुलाब यादव ने पटना हाईकोर्ट में रूपसपुर थाना में दर्ज एफआईआर को निरस्त करने के लिए क्रिमनल रिट याचिका दायर की है। संजीव की ओर से दर्ज याचिका की सुनवाई पिछले महीने हुई, जिसमें महिला वकील की ओर से उनके वकील ने सीआरपीसी 340 के तहत याचिका दायर की थी। इसलिए कोर्ट ने उस दिन फैसला नहीं सुनाया और इसे सुरक्षित रख लिया। रूपसपुर थाना में दर्ज केस में गुलाब यादव के नौकर ललित को भी आरोपी बनाया गया है। इधर एसएसपी राजीव मिश्रा और केस की आईओ रही मंजू कुमारी ने इस केस को सत्य करने की बात की गई तो उन्होने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।
पीड़ित महिला वकील ने आरोप लगाया है कि फरवरी 2016 को पटना के गर्दनीबाग में रहने वाले एक सीनियर वकील के यहां गुलाब यादव से परिचय हुआ। गुलाब ने राज्य महिला आयोग में सदस्य बनाने का झांसा देकर आवास पर बुलाया और पिस्टल के बल पर रेप किया। पीड़ित ने केस की तैयारी कर ली थी इसी बीच गुलाब यादव ने उसकी मांग में सिंदूर भरकर कहा कि दोनों आज से पति-पत्नी है। फिर विधायक ने पुणे बुलाया और वहां आईएएस अधिकारी संजीव हंस से परिचय कराया। दोनों ने लंच में नशीला पदार्थ खिलाने के बाद गैंगरेप किया। उसका अश्लील वीडियो भी बना लिया। वीडियो भेजकर ब्लैकमेल किया जाता था।