डेस्कः चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनने के बाद बीआर गवई पहली बार अपने गृह राज्य महाराष्ट्र पहुंचे तो प्रोटोकॉल को लेकर कई कमियां सामने आ गई। महाराष्ट्र पहुंचने के बाद उन्हे रिसीव करने के लिए न तो राज्य के मुख्य सचिव आये और न ही डीजीपी ही आये। राज्य के दोनों आलाधिकारी के द्वारा प्रोटोकॉल नहीं निभाने को लेकर सीजेआई ने कहा कि “जब किसी संवैधानिक संस्था का प्रमुख पहली बार राज्य का दौरा करता है तो उसके साथ जिस तरह का व्यवहार किया जाता है, उस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. अगर हम में से कोई होता तो अनुच्छेद 142 के बारे में चर्चा होती। ये छोटी-छोटी बातें लग सकती हैं, लेकिन जनता को इनके बारे में जागरूक किया जाना चाहिए.”
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महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल की ओर से आयोजित राज्य स्तरीय वकील सम्मेलन में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई (BR Gavai) का भव्य सत्कार समारोह संपन्न हुआ। इस अवसर पर न्यायमूर्ति गवई ने भावुक होते हुए कहा कि वे सभी के प्रेम और सम्मान से अभिभूत हैं।
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उन्होंने कहा, “पिछले 40 वर्षों से उन्हें जिस प्रकार का स्नेह मिला है, वह आज के समारोह में अपने चरम पर था और यह क्षण उनके लिए अविस्मरणीय बन गया है.” मुख्य न्यायाधीश का चार्ज लेने के बाद वह पहली बार महाराष्ट्र पहुंचे थे। इस दौरान सीजेआई ने राज्य के शीर्ष अधिकारियों की अनुपस्थिति को लेकर महाराष्ट्र के प्रोटोकॅाल पर नाराजगी जताई।
समारोह में उन्होंने महाराष्ट्र के लोकतंत्र, प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था की प्रशंसा करते हुए कहा, “यह राज्य न केवल न्यायिक रूप से सशक्त है बल्कि समावेशी भी है.” उन्होंने राज्य के शीर्ष अधिकारियों की अनुपस्थिति पर नाराजगी भी जताई। उन्होंने कहा, “जब भारत के मुख्य न्यायाधीश पहली बार राज्य की यात्रा पर आते हैं और राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक व मुंबई पुलिस आयुक्त उपस्थित नहीं होते तो यह केवल प्रोटोकॉल का नहीं, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं के आपसी सम्मान का विषय है.”