आपके अंदर कुछ करने का जुनून हो तो आप किसी भी परिस्थिति में वह कर ही लेते हैं। वह कम से कम समय में भी अपनी तैयारी कर सफलता हासिल कर ही लेता है। हम आपको एक ऐसी ही होनहार लड़की की कहानी बताएंगे, जिसने 10 घंटे की नौकरी के साथ तैयारी की और बीपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की। यह कहानी है झारखंड के कोडरमा जिले के झुमरी तिलैया की रहने वाली मिताली सिन्हा की। उनकी सफलता की कहानी आपको भी प्रेरित करेगी।
मिताली सिन्हा ने मीडिया से बातचीत के दौरान ये बताया था कि उनकी बहन शालिनी सिन्हा, जो डीआरएम ऑफिस धनबाद में कार्यरत हैं। जब मिताली ने अपनी बहन को सरकारी कर्मचारी के रूप में मिलने वाली सुविधाएं देखीं, तो उनसे प्रेरित होकर उनके मन में सरकारी अधिकारी बनकर बेहतर जीवन जीने की इच्छा जागी। इस इच्छा को अपने मन में संजोते हुए, मिताली ने निजी कंपनी में काम करते हुए बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में पहले प्रयास में ही 60वीं रैंक हासिल की और एक प्रतिष्ठित पद प्राप्त किया।
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मिताली सिन्हा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पीवीएसएस डीएवी पब्लिक स्कूल से प्राप्त की, जहां उन्होंने वर्ष 2015 में दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद, उन्होंने जेजे कॉलेज कोडरमा से वर्ष 2017 में साइंस (बायोलॉजी) के साथ इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। झारखंड कंबाइंड एंटरेंस कॉम्पिटेटिव एग्जाम में सफलता प्राप्त कर बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी रांची से एग्रीकल्चर ऑनर्स के साथ स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 2022 में आईसीएआर की परीक्षा में 19वीं रैंक प्राप्त कर आनंद यूनिवर्सिटी में जेआरएफ फैलोशिप के साथ गुजरात में एडमिशन लिया। 2024 में उन्होंने एग्री बिजनेस में एमबीए की डिग्री प्राप्त की।
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मिताली सिन्हा ने एमबीए की पढ़ाई के दौरान अपने अंतिम वर्ष में इंटर्नशिप के तहत एक कंपनी में प्रोजेक्ट का काम भी किया। वह सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक ऑफिस में काम कर रही थीं, जिससे उन्हें पढ़ाई के लिए बिल्कुल समय नहीं मिल पाता था। लेकिन जब वह ऑफिस से लौटती, तो रात को पढ़ाई में जुट जाती। वह अपने सपने के आगे हार मानना नहीं चाहती थीं।
यहां तक कि कई लोगों ने उन्हें यह सलाह दी कि दिनभर काम करना और साथ में BPSC की तैयारी करना संभव नहीं है, लेकिन मिताली सिन्हा ने इसे संभव कर दिखाया। इसके अलावा, मिताली बताती हैं कि अधिकारी बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने ऑनलाइन उपलब्ध सामग्री के सहारे अपनी तैयारी जारी रखी। एमबीए की डिग्री प्राप्त करने के बाद, उनका प्लेसमेंट गोड्डा के एक NGO में हुआ, जहां वह पिछले 6 महीने से काम कर रही हैं।
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