झारखंड के नए डीजीपी की नियुक्ति पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर कड़ा प्रहार किया । बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड के सबसे विवादित आईपीएस अधिकारी अनुराग गुप्ता को हेमंत सरकार ने पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया । भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने डीजीपी नियुक्ति के मुद्दे पर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की। उन्होंने प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड की जनता को धोखे में रखकर हेमंत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का खुला उल्लंघन किया है।
बाबूलाल मरांडी की सरकार से मांग
- डीजीपी की नियुक्ति रद्द हो, अनुराग गुप्ता के कार्यकलाप की सीबीआई जांच हो।
- झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश स्वतः संज्ञान लेकर डीजीपी नियुक्ति मामले की सुनवाई करें।
- सुप्रीम कोर्ट के अवमानना मामले में राज्य सरकार के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 में प्रकाश सिंह केस में फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया था कि डीजीपी की नियुक्ति यूपीएससी के अनुशंसित पैनल से ही होगी। लेकिन हेमंत सरकार ने यूपीएससी को दरकिनार कर अपनी मर्जी से अनुराग गुप्ता को डीजीपी बना दिया, जिनका नाम यूपीएससी की सूची में नहीं था।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि जब तक राज्य सरकार कोई नया कानून नहीं बनाती, तब तक यूपीएससी की प्रक्रिया से ही नियुक्ति होगी। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने आपको सुप्रीम कोर्ट से ऊपर मानने लगे हैं।

अनुराग गुप्ता की नियुक्ति पर सवाल
मरांडी ने कहा कि 2025 में राज्य सरकार ने नियमावली बना दी, जबकि अधिनियम (एक्ट) पारित नहीं हुआ। किसी भी सरकार को पहले अधिनियम पारित करना होता है, उसके बाद नियमावली बनती है। यह सवाल उठता है कि राज्य सरकार ने 2025 की नियमावली को भूतलक्षी प्रभाव से लागू करने की कोशिश क्यों और कैसे की? उन्होंने राज्य सरकार के अधिकारियों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने इस अवैध प्रक्रिया को कैसे अनुमति दी?
अनुराग गुप्ता दो वर्षों तक निलंबित भी रहे
मरांडी ने कहा कि अनुराग गुप्ता चुनावी कदाचार में लिप्त थे और दो वर्षों तक निलंबित भी रहे हैं। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है और वे राज्य के सबसे विवादित आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने सवाल किया कि चुनावी कार्य से मुक्त रखे गए एक भ्रष्ट और विवादास्पद अधिकारी को हेमंत सरकार ने डीजीपी क्यों बनाया? क्या सरकार उन्हें महत्वपूर्ण पद देकर उनकी रक्षा करना चाहती है?