रांची: ग्रामीण विकास विभाग में कमीशनखोरी में मंत्री आलमगीर आलम का हिस्सा 1.50 प्रतिशत का है। मंत्री को कमीशन के रूप में सितंबर 2022 में तीन करोड़ रूपया मिला, ये रकम एक इंजीनियर ने दिया था। जहांगीर आलम के घर मिले 32.20 करोड़ रूपये वसूली के थे जिसे मंत्री को देना था। ये वसूली संजीव लाल ने मंत्री के लिए किया थ। ये बात ईडी ने रांची के पीएमएलए कोर्ट में मंत्री को पेश किये जाने के बाद रिमांड पिटीशन में की।
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कमीशनखोरी में मंत्री आलमगीर आलम की महत्वपूर्ण भूमिको को देखते हुए ईडी ने कोर्ट से 10 दिनों का रिमांड मांगा लेकिन कोर्ट ने 6 दिनों का रिमांड मंजूर किया। इसके बाद मंत्री आलमगीर आलम को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया गया, शुक्रवार को ईडी मंत्री को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।
रिमांड पिटीशन में ईडी ने कमीशनखोरी की चर्चा करते हुए कहा कि ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल और ग्रामीण कार्य विभाग के एक सहायक अभियंता द्वारा कमीशन की वसूली पर ध्यान दिया जाता है। जांच में पाया गया कि कुल लागत का डेढ़ प्रतिशत कमीशन के रूप में मंत्री के लिए निर्धारित था। कमीशनखोरी के जांच के दौरान 6, 7 और 8 मई को संजीव-जहांगीर सहित अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की गई, जिसमें 37.50 करोड़ रूपया कैश बरामद किया गया, जिसमें 32.20 करोड़ रूपया जहांगीर के घर से बरामद किये गये। यह रकम संजीव लाल के निर्देश पर जहांगीर ने आलमगीर आलम के लिए वसूले थे। ईडी ने कोर्ट में बताया कि जहांगीर के घर नोटांें के अलावा सरकारी दस्तावेज मिले थे जो मंत्री के आप्त सचिव संजीव लाल के पास होना चाहिए था। इससे यह प्रमाणित होता है कि संजीव लाल मंत्री से संबंधित दस्तावेज जहांगीर के घर रखता था।
टेंडर में कमीशन के प्रतिशत को लेकर ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम ने भी ईडी को दिये अपने बयान में बताया था कि उसे टेंडर में डेढ़ प्रतिशत कमीशन मिलता था। ईडी द्वारा मंत्री को डेढ़ प्रतिशत कमीशन , वीरेंद्र राम द्वारा कबूले गये डेढ़ प्रतिशत कमीशन से पता चलता है कि किस तरह टेंडर मैनेज में कमीशन का खेल चल रहा था।