झारखंड की राजधानी रांची से एक बड़े साइबर ठगी मामले का खुलासा हुआ है। साइबर क्राइम थाना, रांची में दर्ज केस संख्या 29/25 के अनुसार, दो साइबर अपराधियों ने खुद को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का अधिकारी बताकर एक महिला से वीडियो कॉल पर बात की और उसे मनी लॉन्ड्रिंग के फर्जी मामले में फंसाने की धमकी दी। पीड़िता को डिजिटल अरेस्ट की बात कहकर डराया गया और उससे 59 लाख 44 हजार 307 रुपये ठग लिए गए।
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फर्जी संस्था के नाम पर खोला गया बैंक खाता
जांच के दौरान पता चला कि आरोपियों ने ‘महिला एवं ग्रामीण विकास कल्याण समिति’ नाम की एक फर्जी संस्था के नाम पर HDFC बैंक में खाता खोला था। इसी खाते में पीड़िता सहित अन्य लोगों से ठगे गए पैसे जमा कराए जाते थे, ताकि यह रकम किसी सामाजिक काम से जुड़ी लगे। एक ही दिन में इस खाते में 1 करोड़ 47 लाख 95 हजार 307 रुपये जमा हुए।
कई राज्यों से जुड़ा है ठगी का नेटवर्क
इस बैंक खाते से जुड़ी शिकायतें केवल झारखंड ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र, पुड्डुचेरी, उत्तराखंड और बिहार से भी दर्ज हुई हैं। राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल (NCRP) पर कुल 7 शिकायतें इस खाते के खिलाफ आ चुकी हैं, जो इस गिरोह की बड़ी पहुंच को दर्शाती है।
इस मामले में तकनीकी सबूतों के आधार पर पुलिस ने छापेमारी कर बिहार के पटना जिले के सुलतानगंज थाना क्षेत्र के टिकिया टोली महेंदु से दो साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। उनके नाम अजय कुमार सिन्हा और सौरभ शेखर हैं। दोनों बाप-बेटे बताए जा रहे हैं। पुलिस ने इनके पास से दो मोबाइल फोन, तीन सिम कार्ड, दो आधार कार्ड, दो चेकबुक और ठगी से जुड़ी व्हाट्सएप चैट बरामद की है।
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कैसे देते थे ठगी को अंजाम
आरोपी पहले पीड़ित को व्हाट्सएप कॉल करते थे और खुद को CBI, NCB या NIA का अधिकारी बताते थे। वीडियो कॉल में वे सरकारी वर्दी पहने किसी व्यक्ति का वीडियो दिखाते थे ताकि भरोसा हो जाए। फिर डराते थे कि पीड़ित का नाम किसी गंभीर अपराध जैसे मनी लॉन्ड्रिंग में आ गया है और उसे तुरंत गिरफ्तार किया जा सकता है। इसी डर के कारण लोग उन्हें बड़ी रकम ट्रांसफर कर देते थे