देवेश सिंह
इसमें कोई दो राय नहीं है कि किक्रेट में विराट प्रदशर्न करने वाले विराट कोहली (Virat Kohli) को हर युवा अपना रोल माडल मानता है। इसका मतलब है कि उनका अनुसर भी करता होगा। यह बात तो विराट को पता ही हो, क्योंकि उनके सोशल मीडिया पर फालोअर से अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन क्या क्रिकेट का बेहतरीन खिलाड़ी होने पर आपको किसी को भी क्यों बे.. या इस तरह की भाषा इस्तेमाल करने की छूट मिल जाती है। जानकर हैरानी भी होती है कि महज कुछ पैसे के लिए अपनी छवि को दाव लगाने की जरूरत क्या है। कुछ पैसे मिले तो विज्ञापन के लिए कुछ बोलने या करने की छूट थोड़े मिल जाती है।
किसी को महान बनाती है मर्यादित भाषा
भई आप सोच रहे होंगे कि मैं विराट की खिंचाई क्यों कर रहा हूं। मैं भी उनका प्रसंशक हूं, इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन सार्वजनिक जीवन में आपको अपनी मर्यादित भाषा और चाल चरित्र ही महान बनाता है। क्या कभी किसी ने क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर पर सवाल उठाया था। कभी नहीं…। लेकिन विराट कोहली जितना अच्छा खेलते हैं, उतना ही गुस्स में भी रहते हैं। खैर इसकी वजह अलग हो सकती है। इसपर हमें कुछ कहना भी नहीं है। लेकिन जब वह किसी विज्ञापन में आकर कैमरामैन यानी मीडिया को अबे से संबंधित करते हैं, तो लगता है कि वह अपने फैन को ऐसा करने के लिए उकसा रहे हैं।
पैसे के लिए कुछ भी करेंगे
अब आप सोच रहे होंगे कि कौन सा विज्ञापन है, जिसको लेकर इतना हंगामा बरपा है। तो चलिए हम आपको बता देते हैं। यह विज्ञापन हैं एक पेंट से संबंधित कंपनी का… अरे एशियन पेंट का। जिसमें विराट भाई का विराट रूप देखने को मिलता है। बेचारे फोटो लेने वाले कैमरामैन उनसे गुजारिश क्या करता है, वह बोलते हैं जब टैलेंट है, तो बाहर क्यों बे…। भले ही कंपनी ने चंद पैसे देकर ऐसा बोलने को बोला होगा, तो क्या महोदय को इतना भी पता नहीं है कि मर्यादित भाषा में बोलने से पेंट का रंग चोखा नहीं होगा क्या। कंपनी का क्या है आज आपके साथ विज्ञापन कर रही, कल किसी ओर को अपना साथी बना लेगी।
भई अब आपको विज्ञापन के बारे में बता रहे हैं। विज्ञापन की शुरुआत में गली मोहल्ले में विराट भाई साहब प्रदर्शन करने आते हैं। उनकी बॉल पर एक बच्चा छक्का मारकर अपनी टीम को जीता देता है। विराट भाई भी आश्चर्य से देखते हैं कि हां… उनकी बाल पर छक्का लग गया। अरे भाई जब पैसा दिया है, तो वह अपनी स्क्रिप्ट के अनुसार ही काम कराएगा नहीं। खैर.. बच्चा सीधे अपने घर में जाता है, मां-बाप से कहता है कि मैं जीत गया। जीत की खुशी में शामिल होने के लिए विराट भाई भी पहुंच जाते हैं। इस दौरान कुछ मीडिया वाले बच्चे और विराट की फोटो खिचने के लिए तैयार होते हैं। विराट पोज के साथ खड़े होते हैं, तभी… कैमरा मैन गुस्ताखी करते हुए कहा है कि सर बाहर फोटो ले लें क्या?
कैमरामैन को ही सुना दिया, क्यों बे
फिर क्या… विराट भाई कहते हैं इतना टैलेंट है तो फोटो बाहर क्यों बे…। उसके बाद वे पेंट से पूरे घर को चमकीला और रंगीला बना देते हैं जिससे आखें चकाचौंध हो जाए। लेकिन वह भूल जाते हैं कि कुछ देर पहले जिस भाषा का उपयोग किए हैं, वह उनके व्यक्तित्व को धुंधला करने वाला है। लेकिन उन्हें कोई फर्क पड़ने वाला थोड़े ही है… काहे कि उनको तो बस पैसे मतलब है… भाड़ मे जाए उनकी इमेज। उनके विराट प्रदर्शन का किस्सा तो कई बार खबरों में भी आता है। हाल में ही सुनील गवास्कर भी उनके व्यवहार पर भड़क गए थे। भई उनका जीवन है, चाहे वह जैसे भी जिए… किसी को उससे क्या फर्क पड़ता है। पर जरा सोचिएगा… ऐसा करने से सभी को इससे फर्क पड़ता है। इससे कुछ सहमत और कुछ असहमत भी…
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