रांचीः सुप्रीम कोर्ट ने स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा-2016 के सर्टिफिकेट वेरीफिकेशन से वंचित रह गये अभ्यर्थियों की ओर से दायर स्पेशल लीव पिटीशन पर सुनवाई की। इस मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से पक्ष रखा गया, जिसपर कोर्ट ने झारखंड सरकार और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग को नोटिस जारी किया।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए JMM ने ठोका 16 सीटों पर दावा, तेजस्वी और हेमंत की बैठक में होगा अंतिम फैसला
इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता देवदत्त कामथ व अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखते हुए पीठ को बताया कि स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक परीक्षा के हजारों सफल अभ्यर्थियों को डाक,SMS और Email के माध्यम से डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन (प्रमाण पत्र सत्यापन) के संबंध में JSSC की ओर से सूचना दी गयी थी। इसका लाभ प्रार्थियों को भी मिलना चाहिए था, लेकिन उनके मामले में सिर्फ वेबसाइट पर सूचना प्रकाशित की गयी।
गृह मंत्री अमित शाह 10 मई को आएंगे रांची, पूर्वी क्षेत्र परिषद की बैठक की करेंगे अध्यक्षता
प्रार्थियों की तरफ बहस कर रहे वकीलों ने आगे कहा कि यदि किसी अभ्यर्थी को विशेष तरह से आमंत्रित किया गया और उसे प्रमाण पत्र सत्यापन की जानकारी दी गयी, तो यह अन्य सभी अभ्यर्थियों (प्रार्थियों) के साथ भी होना चाहिए था। JSSC ने ऐसा नहीं कर संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन किया है। प्रार्थियों को भी उसका लाभ मिलना चाहिए था। उल्लेखनीय है कि प्रार्थी निर्मल पाहन और अन्य की ओर से अलग अलग SLP दायर की गयी है। उन्होंने झारखंड हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। हाइकोर्ट की एकल पीठ और बाद में खंडपीठ ने प्रार्थियों की याचिका व अपील याचिकाओं को खारिज कर दिया था।