रांचीः झारखंड मुक्ति मोर्चा अब झारखंड के बाहर पार्टी विस्तार को लेकर बहुत गंभीर है। पार्टी के महाधिवेशन में भी इस बात का राजनीतिक प्रस्ताव पास किया गया था कि झारखंड के पड़ोसी राज्य बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में पार्टी विधानसभा का चुनाव लड़ेगी और अपने संगठन का विस्तार करेगी। इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा का चुनाव होने वाला है। इस चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी ओर से तैयारियां शुरू कर दी है। झारखंड मुक्ति मोर्चा 2025 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने जा रही है। इंडिया गठबंधन के तहत जेएमएम ये चुनाव लड़ेगी और पार्टी ने इस विधानसभा चुनाव के लिए 16 सीटों पर दावा ठोका है।
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हेमंत सोरेन के केंद्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जेएमएम की पहली परीक्षा मिशन बिहार है। जेएमएम ने 14 सीटें जारी की है जिसमें उसे चुनाव लड़ना है। जेएमएम ने बिहार के जमुई, भागलपुर, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, बांका जिलों में संगठन को सक्रिय करते हुए विधानसभा चुनाव लड़ने का राजनीतिक प्रस्ताव अपने अधिवेशन में पास किया था। आदिवासी बहुल सीट जमुई जिला के चकाई और बांका के कटोरिया पर जेएमएम पहले से ही तैयारी करता रहा है। जेएमएम का कहना है कि पार्टी अभी 16 सीटों पर फोकस कर अपनी ओर से तैयारी कर रही है। इंडिया गठबंधन की बैठक में इसपर फैसला लिया जाएगा। हेमंत सोरेन और तेजस्वी यादव सीटों को लेकर अंतिम फैसला लेंगे।
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झारखंड में 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस-आरजेडी-जेएमएम-माले में सीटों को लेकर बहुत खींचतान हुई थी। तेजस्वी यादव कई दिनों तक रांची में डेरा डाले हुए थे फिर भी कई सीटों पर फ्रेंडली फाइट में चुनाव लड़ा गया। जेएमएम पहले भी बिहार में विधानसभा का चुनाव लड़ती रही है लेकिन बिना गठबंधन के ही वो अपने उम्मीदवार उतारते रही है। हालांकि पहले के चुनावों को जेएमएम ने उतनी गंभीरता से नहीं लिया, कई बार तो उनके उम्मीदवार वोट कटवा की हैसियत से चुनाव में उतरते थे। लेकिन अब जेएमएम पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ना चाहती है और जीतना भी चाहती है। हेमंत सोरेन जिस तरह से एक बड़े आदिवासी नेता के तौर पर देश में स्थापित हुए है और कल्पना सोरेन जिस तरह से झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान स्टार प्रचारक बनकर उभरी उसका राजनीतिक फायदा जेएमएम अब झारखंड के बाहर लेना चाह रही है इसलिए जेएमएम ने बिहार चुनाव को लेकर अपनी ओर से तैयारी शुरू कर दी है।