रांची : शीतकालीन सत्र के पांचवे और अंतिम दिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा शुरू हो गया। इस बार हंगामा विपक्षी की ओर से नहीं बल्कि सत्तापक्ष की ओर से हुआ। पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव बाबूलाल मरांडी पर आरोप लगाया कि उन्होने विधानसभा अध्यक्ष पर मीडिया में बयान देकर विधानसभा की अवमानना की है, इसलिए उनपर कार्रवाई होनी चाहिए। इसके बाद जेएमएम विधायक स्टीफन मरांडी ने प्रदीप यादव का समर्थन करते हुए कहा कि सदन पर आक्षेप लग रहा है ये गंभीर मामला है, अवमानना का मामला है। इसके बाद आलमगीर आलम और सरफराज अहमद ने भी कार्रवाई की मांग कर दी और सत्तापक्ष के विधायक वेल में आ गए। इसके बाद स्पीकर ने कहा जो नियम के मुताबिक होगा, वही किया जाएगा।
सत्ता पक्ष की मांग के बाद नेता विपक्ष अमर बाउरी ने प्रदीप यादव की मांगों का विरोध किया। उन्होने कहा कि अगर विधानसभा कि खाता बही की बात की जाए तो प्रदीप यादव जेवीएम के विधायक है और बाबूलाल जेवीएम के अध्यक्ष है, इसलिए बाबूलाल को लेकर प्रदीप यादव द्वारा ऐसी बातों को कहना शोभा नहीं देता। उन्होने कहा कि प्रदीप यादव को बाबूलाल से मांफी मांगनी चाहिए, जिसका सत्ता पक्ष के लोगों ने विरोध किया।
प्रदीप यादव ने अमर बाउरी के बयान का जवाब देते हुए कहा कि अगर बाबूलाल जेवीएम के अध्यक्ष है तो वे सदन में जेवीएम के नेता है, ऐसे में बाबूलाल उनसे विचार विमर्श क्यों नहीं करते, बिना बात वे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने बैठे है। इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से हंगामा और तेज हो गया। विपक्ष की ओर से बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने कहा कि बाबूलाल मरांडी को 4 साल में एक बार भी बोलने का मौका नहीं दिया गया, तीन बार वो कल हाथ उठाए थे लेकिन बोलने नहीं दिया गया। उन्होने कहा कि कांग्रेस के लोग किस मुंह से अवमानना की बात करते है उनके नेता राहुल गांधी लोकसभा में मिमिक्री करने वाले का वीडियो बनाते है।
दरअसल बाबूलाल मरांडी ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि वो सदन में 1932 खातियान विधेयक पास होने के दौरान चर्चा में कुछ बोलना चाहते थे, बार बार हाथ उठाया लेकिन उन्हे बोलने नहीं दिया गया। मरांडी के इसी बयान को लेकर गुरूवार को सत्ता पक्ष के विधायकों ने हंगामा किया और इसे स्पीकर की अवमानना बताया।