रांची: लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुई सीता सोरेन और गीता कोड़ा दोनों ही अपने लोकसभा क्षेत्र में चुनाव हार गई, लेकिन बीजेपी में उन दोनों को लेकर अलग-अलग राय बन गई है। बीजेपी का प्रदेश नेतृत्व एक तरफ जहां गीता कोड़ा पर भरोसा जताते हुए पार्टी में उनको जिम्मेदारियां देकर कद बढ़ा रही है तो दूसरी ओर सीता सोरेन को प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने साइड लाइन कर दिया है, उनको पार्टी में कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है।
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सीता सोरेन ने लोकसभा चुनाव हारने के बाद प्रदेश अध्यक्ष से लेकर अपने संसदीय क्षेत्र के बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाये थे। बीजेपी कार्यकर्ता से लेकर पूर्व मंत्री लुईस मरांडी, रणधीर सिंह और पूर्व सांसद सुनील सिंह पर भीतरघात तक का आरोप लगा दिया था। प्रदेश नेतृत्व सीता सोरेन के इस बयान से नाराज है, उनका मानना है कि अगर सीता सोरेन को कोई परेशानी या सहयोग मिलने में कोई दिक्कत चुनाव के दौरान हुई तो ये बातें पार्टी फोरम में करनी चाहिए थी, न की मीडिया में बयान देकर प्रदेश नेतृत्व और वरिष्ठ नेताओं पर सवाल उठाना चाहिए था। वही गीता कोड़ा ने अपनी हार के लिए न ही बीजेपी के किसी नेताओं पर कोई आरोप लगाया और न ही पार्टी बदलने को अपनी हार का कारण बताया। प्रदेश नेतृत्व ने गीता कोड़ा पर भरोसा जताते हुए उन्हे दो महत्वपूर्ण कमिटी, पहला विधानसभा चुनाव के लिए घोषणापत्र बनाने वाली कमिटी और दूसरा सरकार के खिलाफ आरोप पत्र जारी करने वाली कमिटी में जगह दी है। अगले विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों महत्वपूर्ण कमिटी मानी जा रही है। प्रदेश नेतृत्व ने जिस तरह से सीता सोरेन को नजरअंदाज किया है उससे आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में उनके भविष्य को लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
विधानसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण घोषणा पत्र समिति में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी, केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, केंद्रीय राज्यमंत्री संजय सेठ, विधायक नवीन जायसवाल, अनंत ओझा, भानु प्रताप शाही, गीता कोड़ा और बीडी राम है।
विधानसभा चुनाव को लेकर चलने वाले विजय संकल्प कार्यक्रम की जिम्मेदारी भानु प्रताप शाही, अशोक शर्मा, नवीन जायसवाल, समीर उरांव, बिरंची नारायण, अर्पणा सेन गुप्ता, अनंत ओझा, लुईस मरांडी, गीता कोड़ा और दिनेश कुमार को दी गई है।
सीता सोरेन के अलावा जिन बड़े नेताओं को किसी समिति में जगह नहीं दी गई है उनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद रविंद्र राय, पूर्व सांसद रविंद्र पांडे, पीएन सिंह, सुनील सोरेन और सुनील सिंह है जिनकी अनदेखी प्रदेश नेतृत्व ने की है।