सिमडेगा : मुस्लिम धर्मावलंबियाें का पवित्र त्याेहार शब-ए-बारात आज की रात मनाई जाएगी। इस माैके पर लाेग अपने घराें और मस्जिदाें में पूरी रात जगकर खुदा की इबादत करेंगें। इस्लाम धर्म को मानने वालों के लिए शब-ए-बारात फजीलत और इबादत की रात होती है,जिसमें मुसलमान अल्लाह तबारक व तआला से अपनी गुनाहों की मांगी मांगते हैं। उलेमा बताते हैं कि शब-ए-बारात में हर मुसलमान पूरी रात जागकर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। ऐसी मान्यता है कि शब-ए-बारात के रहमत या मगफिरत की रात को सच्चे दिल से इबादत करने पर अल्लाह सारे गुनाहों को माफ कर देता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक इस त्योहार को शाबान (इस्लामिक कैलेंडर का 8वां महीना) महीने की 14वीं तारीख को सूर्यास्त के बाद मनाया जाता है। शाबान,रजब महीने के बाद आता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक सोमवार 12 फरवरी को शाबान महीने की शुरुआत हुई थी और 25 फरवरी यानी शाबान महीने की 14वीं और 15वीं तारीख के बीच की रात को शब-ए-बारात मनाई जाएगी,शब-ए-बारात को लेकर मस्जिदों और कब्रिस्तान को सजाया गया है। रोशनी से मस्जिद, ईदगाह , घर सब जगमग कर रहे है।
गुनाहों से तौबा करने की रात है शब-ए-बारात शब-ए-बारात गुनाहों से तौबा करने की रात है। इस दिन मुसलमान रोजा रखते हैं और नमाज अदा करते हैं। सूर्यास्त के बाद लोग पूर्वज के क्रब जाकर दुआएं मग्फिरत करते हैं। अल्लाह से उनके गुनाहों की माफी मांगते हैं। लोग अपनी क्षमता के अनुसार खैरात (दान) भी करते हैं। घरों में पकवान भी बनाए जाते हैं। माैलाना मिन्हाज रहमानी ने कहा कि शब-ए-बारात की रात मुसलमानों के लिए सबसे अहम रातों में एक होती है। इस रात को गुनाहों से तौबा करने के साथ ही तकदीर बदलने वाली रात भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस रात तकदीर तय होती है। उन्हाेंने कहा कि शब-ए-बारात की रात अल्लाह अपने बंदों से हिसाब लेते हैं। इसलिए कहा जाता है कि,जो लोग गुनाह करके दोजख में जीते हैं उन्हें इस रात गुनाहों की माफी मिल जाती है और उन्हें दोजख से जन्नत भेज दिया जाता है।