रांची: राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव की पकड़ अब पार्टी पर कमजोर होते जा रही है। लालू यादव के नजदीक होने का खामियाजा उनके चहेतो को अब भुगतना पड़ रहा है। आरजेडी में सत्ता का केंद्र अब लालू यादव नहीं बल्कि उनके बेटे और राजनीतिक विरासत को संभालने वाले तेजस्वी यादव है।
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झारखंड में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में आरजेडी के चार विधायकों में से एक को मंत्री बनना था। मंत्री बनने की दौर में देवघर से आरजेडी विधायक और पूर्व मंत्री सुरेश पासवान सबसे आगे थे, पार्टी के पुराने वफादार रहे सुरेश पासवान ने तीन दिसंबर को पटना में लालू यादव और राबड़ी देवी से मुलाकात भी की। देवघर से प्रसाद लाकर पार्टी के सुप्रीमो को दिया तो पार्टी अध्यक्ष ने भी उन्हे मंत्री बनने का आशीर्वाद दे दिया। सुरेश पासवान आरजेडी विधायक दल के नेता है और पार्टी के परंपरा के अनुसार विधायक दल के नेता होने के नाते उनका मंत्री बनना तय था। आरजेडी अध्यक्ष के भरोसे से गदगद सुरेश पासवान रांची में डेरा डाल चुके थे मंत्री बनने की तैयारी भी कर रहे थे। लेकिन इस बीच उनके साथ खेला हो गया जिसकी स्क्रीप्ट चुनाव के पहले से ही लिखी जा रही थी।
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सुरेश पासवान मंत्री बनने से चूक गए और उनकी जगह गोड्डा से विधायक बने संजय प्रसाद यादव को हेमंत सोरेन की कैबिनेट में जगह दी गई। संजय प्रसाद यादव को मंत्री बनाने का फैसला तेजस्वी यादव का था। तेजस्वी और उनकी पत्नी राजश्री चाहते थे कि संजय प्रसाद यादव झारखंड सरकार में मंत्री बने और अंत में वही हुआ। लालू यादव के इच्छा के आगे तेजस्वी ने अपना वीटो लगा दिया। दरअसल सुरेश की जगह संजय के मंत्री बनने की स्क्रीप्ट पहले से ही लिखी जा रही थी। तेजस्वी यादव जब गोड्डा में चुनाव प्रचार करने गए थे तो वो संजय प्रसाद यादव के अतिथि सत्कार से इतने प्रभावित हुए कि उन्होने पहले ही कह दिया था कि सरकार बनने पर इनकी जिम्मेदारी बढ़ेगी यानि वही से मंत्री बनने का रास्ता बन रहा था। चुनाव में जीत के बाद संजय प्रसाद यादव जब पटना गए तो वो तेजस्वी और उनकी पत्नी के लिए वो विशेष तोहफा लेकर गए जिसने उनकी मंत्री बनने की राह आसान कर दी।
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पार्टी के अंदरूणी सूत्र बताते है कि अब आरजेडी के अंदर लालू-राबड़ी की जगह तेजस्वी और राजश्री की चलती है। लालू-राबड़ी की इच्छा के विपरीत सुरेश पासवान की जगह संजय प्रसाद यादव को मंत्री बनाया गया। लालू चाहते थे कि उनके पुराने भरोसेमंद को एक बार फिर मंत्री बनाया जाए। इसके पीछे दो तर्क था एक तो वो दलित है दूसरा अयोध्या में जैसे समाजवादी पार्टी के सांसद ने जीत दर्ज कि वैसे ही देवघर जैसे धार्मिक स्थल की सीट जो कि बीजेपी का एक तरह से गढ़ है वहां से अगर मंत्री बनता है तो एक दूसरा राजनीतिक संदेश जाएगा। संजय प्रसाद यादव की छवि दबंग रही है, उनपर कई मामले भी दर्ज रहे है, उनके भाई मनोज यादव बिहार के बेलहर से जेडीयू विधायक है जिसके कारण पार्टी के अंदर एक दूसरा संदेश जा सकता है। लेकिन लालू की बेटे के आगे नहीं चली और संजय प्रसाद यादव को मंत्री बना दिया गया। सुरेश पासवान और उनके समर्थकों में तेजस्वी के निर्णय को लेकर निराशा इस बात से समझी जा सकती है कि सुरेश पासवान से अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि वो पार्टी के निर्णय के साथ रहेंगे और कोई भी इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन नहीं करें। संजय प्रसाद यादव को मंत्री बनने की बात पचा पाना सुरेश पासवान और उनके समर्थकों के साथ लालू-राबड़ी के आसान नहीं है। पार्टी अध्यक्ष की इच्छा के विपरीत निर्णय लेकर तेजस्वी ने पार्टी के अन्य नेताओं को भी स्पष्ट संदेश दे दिया है।
पार्टी के सूत्र बताते है कि तेजस्वी नहीं चाहते कि लालू यादव की सक्रियता पार्टी के अंदर ज्यादा दिखे, वो नहीं चाहते थे कि लालू झारखंड चुनाव में प्रचार करें। सिर्फ कोडरमा की सीट पर सुभाष यादव के लिए लालू ने प्रचार किया वो भी तब चुनाव प्रचार अंतिम दौर में था। सुभाष उन चुनिंदा नेताओं में है जिन्होने अपने आप को लालू के दौर से तेजस्वी के दौर में अपने आप को आसानी से लेकर चले गए, आरजेडी के कई उम्मीदवार चाहते थे कि लालू उनके क्षेत्र में एक बार 5 मिनट के लिए ही सही प्रचार करने आ जाए लेकिन ऐसा हो नहीं सका।