रांचीः झारखंड हाईकोर्ट ने राजधानी रांची के मधुकम और रुगड़ीगढ़ा में शहरी गरीबों के लिए बनाए गए फ्लैटों पर अवैध कब्जे को गंभीरता से लेते हुए एक सप्ताह के भीतर सभी अवैध कब्जे हटाने का निर्देश रांची नगर निगम को दिया है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लिए गए मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को यह निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्तूबर को होगी।
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कोर्ट ने मौखिक कहा की जिन व्यक्तियों ने अवैध रूप से फ्लैटों पर कब्जा कर रखा है, उन्हें किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा या लाभ नहीं दिया जाए। साथ ही, इस लापरवाही के दोषी अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही भी शुरू की जानी चाहिए। सुनवाई के दौरान अदालत ने नगर निगम और प्रशासन की कार्यशैली पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि यह समझ से परे है कि इतनी बड़ी संख्या में फ्लैटों पर कब्जा कैसे हो गया और सरकारी मशीनरी इतने दिनों तक क्या कर रही थी। यह कब्जा एक दिन में तो नहीं हुआ होगा, यह स्पष्ट है कि यह खेल लंबे समय से चल रहा है, लेकिन संबंधित अधिकारी अब तक मूकदर्शक बने रहे। अदालत ने टिप्पणी की कि यह स्थिति कानून व्यवस्था की खुली धज्जियां उड़ाने वाली है।
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इस मामले में हाईकोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है। रिपोर्ट में बताया गया था कि मधुकम, खादगढ़ा और रूगड़ीगढ़ा क्षेत्रों में शहरी गरीबों के लिए बने 670 फ्लैटों में से 210 से अधिक फ्लैटों पर अवैध कब्जा कर लिया गया है। इस समाचार पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने स्वत: कार्रवाई प्रारंभ की और नगर निगम से जवाब तलब किया।
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