मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद जांचे गए कम से कम तीन खांसी की सिरप में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मात्रा तय सीमा से कहीं अधिक पाई गई है। यह एक विषैला रसायन है जो इंसानों के लिए हानिकारक होता है और गंभीर किडनी क्षति या फेल्योर का कारण बन सकता है।
राज्य औषधि नियंत्रण अधिकारियों द्वारा की गई जांच में सामने आया कि गुजरात स्थित रेडनेक्स फार्मास्युटिकल की Respifresh सिरप में 1.3% DEG पाया गया, जबकि औषधियों में इस प्रदूषक की अधिकतम अनुमेय सीमा 0.1% है। वहीं, एक अन्य गुजरात-आधारित कंपनी Shape Pharma की Relife सिरप में 0.6% DEG पाया गया। इसके अलावा, पहले से रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडु की स्रेसन फार्मा की Coldrif सिरपमें DEG की मात्रा 48.6% पाई गई — जो बेहद खतरनाक स्तर है।
DEG विषाक्तता के लक्षण क्या हैं?
मध्य प्रदेश में इन दूषित सिरपों के सेवन के बाद कम से कम 14 बच्चों की मौत किडनी फेल होने से हो चुकी है, जबकि 9 बच्चे अब भी इलाजरत हैं। DEG के ज़हर से निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं —
पेट में तेज़ दर्द
उल्टी और दस्त
पेशाब बंद हो जाना
सिरदर्द
मानसिक स्थिति में बदलाव
सबसे गंभीर रूप से यह तीव्र गुर्दा क्षति (Acute Kidney Injury) का कारण बन सकता है, जो छोटे बच्चों के लिए प्राणघातक हो सकता है।
यह रसायन सिरप में कैसे पहुंचता है?
डाइएथिलीन ग्लाइकॉल आमतौर पर पॉलीएथिलीन ग्लाइकॉल (Polyethylene Glycol) नामक एक स्वीकृत सॉल्वेंट के माध्यम से सिरप में पहुंचता है। यह यौगिक उद्योगों में एंटीफ्रीज़, हीट ट्रांसफर फ्लूइड और इमल्सीफायर के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इसी कारण इसके दो प्रकार उपलब्ध होते हैं —
इंडस्ट्रियल ग्रेड, जिसमें DEG की मात्रा अधिक होती है।
फार्मास्युटिकल ग्रेड, जिसमें DEG का स्तर सख्ती से तय सीमा से नीचे रखा जाता है।
अगर उत्पादन में गलती से इंडस्ट्रियल ग्रेड का उपयोग हो जाए, तो यह सिरप को जहरीला बना सकता है, जैसा कि मध्य प्रदेश की हालिया घटना में देखने को मिला।



