लोहरदगा: बलदेव साहू महाविद्यालय में “विकसित भारत 2047 और झारखंड का विकास” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य शुभारंभ हुआ। रांची विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा ने कहा, “दिमाग और छतरी जब खुलते हैं तभी विकास होता है।” उन्होंने युवाओं में खुले विचार और नयी सोच की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत में 30 करोड़ से अधिक युवा हैं, और इतने संसाधनों के बावजूद हम पिछड़े हैं, इसका कारण है मानसिकता की संकीर्णता। हमें सरकारी नौकरी की मानसिकता से बाहर निकलकर उद्यमिता और नवाचार की ओर बढ़ना होगा।
पद्मश्री मुकुंद नायक ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि भारत को विश्वगुरु बनाना है तो हमें अपनी प्रकृति और संस्कृति को संजोना और विकसित करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी पारंपरिक संस्कृति विलुप्त हो रही है, जिसे बचाना अत्यंत आवश्यक है।
वैज्ञानिक तनवीर आफरीन ने जोर दिया कि किसी भी समाज के विकास के लिए बुनियादी ढांचे का विकास पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। वहीं, वैज्ञानिक डॉ. डी.एन. वर्मा ने कहा कि जब तक लोगों में जागरूकता नहीं आएगी, तब तक विकास एक सपना ही रहेगा। उन्होंने इतिहास को याद करते हुए भविष्य निर्माण की बात की।
इस संगोष्ठी में चार तकनीकी सत्रों के तहत 25 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर डॉ. सुमित पाठक, डॉ. संगीता, डॉ. आभा मुखर्जी सहित कई प्रतिष्ठित शिक्षाविद उपस्थित रहे।
संगोष्ठी के दौरान डॉ. बुटन महली द्वारा रचित “नागपुरी काव्य शतक” पुस्तक का लोकार्पण भी हुआ। इस अवसर पर कुलपति डॉ. सिन्हा, डॉ. त्रिवेणी नाथ साहू, मुकुंद नायक सहित अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद रहे। पुस्तक में 100 कविताएं व 31 गीत संकलित हैं, जो नागपुरी साहित्य को नया आयाम देती है। हालांकि, डॉ. महली का तबादला सिमडेगा किए जाने पर विद्यार्थियों ने असंतोष जताया।