देवघर: बीजेपी सांसद और गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार निशिकांत दुबे जीत की राह मुश्किल होती चली आ रही है। बीजेपी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के पोते अभिषेक आनंद झा के चुनाव मैदान में कुदने के बाद कई समीकरण बदल गये है। कभी गोड्डा सांसद के बेहद करीबी रही अभिषेक आनंद झा के बाद अब देवघर के पूर्व मेयर बब्लू खवाड़े ने भी निशिकांत दुबे का साथ छोड़ दिया है। रविवार को देवघर के पूर्व मेयर बब्लू खवाड़े निर्दलीय उम्मीदवार अभिषेक आनंद झा के समर्थन में आ गये है। यही नहीं रविवार को पंडा समाज ने बैठक कर निशिकांत दुबे की जगह अभिषेक झा को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी।
पिछले तीन लोकसभा चुनाव से गोड्डा संसदीय सीट से चुनाव जीतकर संसद जाने वाले निशिकांत दुबे की राह को इस बार अभिषेक आनंद झा ने मुश्किल कर दिया है। 2009 से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव मे निशिकांत की जीत के शिल्पकार रहे अभिषेक आनंद झा की बगावत ने बीजेपी उम्मीदवार की नींद हराम कर दी हैै। पिछले 12 दिनों में जिस तरह से अभिषेक झा ने अपनी चुनाव अभियान को चलाया है उससे कई राजनीतिक समीकरण बदल गये है। अभिषेक आनंद झा के मैदान में कुदने से माना जा रहा है कि बीजेपी के वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी हो सकती है। इसी बीच पंडा समाज की बैठक में हुए फैसले और बब्लू खवाड़े का समर्थन मिलने के बाद अभिषेक झा का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर है।
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अभिषेक झा और उनके साथ खड़े लोगों का कहना है कि उनको बीजेपी और नरेंद्र मोदी से कोई बैर नहीं है वो बस निशिकांत दुबे को सबक सीखाना चाहते है। उनका आरोप है कि जिस तरह का तानाशाही रवैया निशिकांत दुबे का है उस वजह से उन्हे सबक सीखाना चाहते है। अभिषेक झा कहते है कि पिछले 15 सालों से उनके साथ छोटे भाई के रूप में खड़ा था लेकिन इस दौरान उनके लिए जो करना है वो किया लेकिन वो आज के दिन में भस्मासूर के रोल में आ गये है। वो केंद्रीय एजेंसियों से जितने भी व्यवसायिक वर्ग है उससे डराकर रखना चाहते है। देवघर और गोड्डा के रहने वाले उनके पॉलिसी डराने और धमकाने का रखे है उससे डरने वाले नहीं है, वो ये पॉलिसी सैनिक फॉर्म में जाकर रखे। वो सबसे बड़े भू माफिया बन गये है। वो संथाल परगना एक्ट की धज्जियां उड़ाते है। भागलपुर से कुछ गुंडों को बुलाकर रखे हुए है, यहां पर कोई बाहरी का कुछ नहीं चलेगा। वो केंदीय एजेंसी की जो धमकी दिखा रहे है उससे कोई डरने वाला नहीं है। मेरे जैसा लड़का उठ गया है तो 12 दिनों के अंदर उनकी जमीन हिल गई है। वो जो तुगलकी फरमान जारी करते है और डराने का कोशिश करते है, यहां कोई भी डरने वाला नहीं है। मुझे मोदी जी से बैर नहीं है उनका गोड्डा में खैर नहीं है। आज ईडी का आईटी का रेड होता है, उससे पहले उनका ही ट्वीट आता है, इसका मतलब है कि केंद्रीय एजेंसी का सबसे बड़ा ठेकेदार आप ही बनकर बैठे हुए है, आप भस्मासूर बने बैठे है , ये पंचशूल की धरती है, आपको यहां से आदमी आराम से विदा कर देगा।
अभिषेक झा की उम्मीदवारी को जिस तरह से समर्थल मिल रहा है उससे माना जा रहा है कि निशिकांत दुबे की राह मुश्किल हो गई है, क्योकि पिछले तीन लोकसभा चुनाव में बीजेपी सांसद की जीत के शिल्पकार अभिषेक झा को माना जाता रहा है। जब पहली बार 2009 में निशिकांत दुबे चुनाव लड़ रहे थे तो शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन को गोड्डा से चुनाव लड़ने के लिए अभिषेक दुबे ने ही दुर्गा को तैयार किया था जिस वजह से कांग्रेस उम्मीदवार की हार हुई थी और निशिंकात पहली बार सांसद बने थे। इस बात को खुद निशिकांत भी अपने बयान में कह चुके है कि अगर दुर्गा सोरेन ने चुनाव नहीं लड़ा होता 2009 में तो वो सांसद नहीं बन पाते। अब जब अभिषेक उनके खिलाफ चुनाव मैदान में है निशिकांत की राह में कांटे ही कांटे दिख रहे है। बब्लू खवाड़े के समर्थन के बाद पांडा समाज के द्वारा अभिषेक झा का खुलकर समर्थन करना कही न कही इस चुनाव को रोचक बना रहा है।