रांची : झारखंड कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी के अंदर गुटबाजी चरम पर है। एक तरफ चंपाई सरकार में शामिल चार मंत्री है तो दूसरी ओर मंत्री नहीं बन पाये 8 से 10 विधायकों ने अपना एक अलग गुट बना लिया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को भी कार्यकारी अध्यक्ष खासकर बंधू तिर्की से चुनौती मिल रही है।
सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने झारखंड सरकार में शामिल चार मंत्रियों को दिल्ली तलब किया। चारों मंत्रियों के साथ कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के साथ खरगे ने बैठक की। प्रदेश कांग्रेस के अंदर चल रही गुटबाजी और गतिरोध को लेकर इन नेताओं के साथ चर्चा की। इन सभी के साथ् लोकसभा चुनाव की तैयारी के साथ नाराज विधायकों के मामले पर बैठक की।
कांग्रेस के नाराज विधायक जहां एक तरफ चार दिनों तक दिल्ली में डेरा जमाये रखा लेकिन खरगे ने उनसे मुलाकात नहीं की। निराश होकर सभी विधायकों को रांची लौटना पड़ा, कांग्रेस के चार मंत्रियों को बदलने की मांग खारिज कर दी गई। वही दूसरी ओर चंपाई सरकार में शामिल चार मंत्री आलमगीर आलम, बादल पत्रलेख, बन्ना गुप्ता और रामेश्वर उरांव को दिल्ली बुलाकर खरगे ने उनसे संगठन, सरकार और नाराज विधायकों को लेकर चर्चा की। खरगे ने इन मंत्रियों को संगठन की मजबूती के लिए काम करने का निर्देश दिया है। साथ ही लोकसभा चुनाव के साथ नाराज विधायकों के साथ तालमेल बनाने का सख्त निर्देश दिया है। वही प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को भी अपने कार्यकारी अध्यक्षों के साथ बेहतर तालमेल कर संगठन को मजबूत करने और लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाने का निर्देश दिया है। लेकिन क्या खरगे के इस निर्देश के बाद सरकार और संगठन स्तर पर सबकुछ ठीक हो जाएगा, नाराज विधायकों की डिमांड का क्या होगा ये अभी कहना मुश्किल लगता है। मगर इतना तो तय है कि खरगे ने नाराज विधायकों के उस डिमांड को पूरी तरह से खारिज कर दिया है जिसमें मंत्रियों को बदलने को कहा जा रहा था। मंत्रियों और प्रदेश अध्यक्ष के साथ खरगे की बैठक के बाद क्या अब नाराज विधायक अपने स्टेंड से पीछे हटेंगे ये कांग्रेस के अंदर चल रहे कलह की दिशा तय करेगी।