रांचीः तो कहानी घर घर की शुरु हो चुकी है । गुरुजी का परिवार टूटा और मोदी का परिवार और बड़ा हो गया । तय हो गया है कि झारखंड में सियासत परिवार के इर्द गिर्द ही रहेगा । एक तरफ होंगी देवरानी कल्पना सोरेन और दूसरी ओर होंगी जेठानी सीता सोरेन । सीता सोरेन बीजेपी को हो गईं । झारखंड में बीजेपी को सीता मिल गई और बतौर बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल्य शाहदेव सीता लंका से आज़ाद हो गई । प्रतुल शाहदेव ने एक्स पर लिखा
चलिए आपके ट्वीट से एक चीज तो साफ हो गया कि ये लंका है और यहां बुराई के प्रतीक माने जाने वाला रावण राज के समान परिस्थितियों है और चारों ओर अधर्म का बोलबाला है।आपके अनुसार आज इसी लंका से एक विभीषण निकला है जो इस बुराई के स्वरूप वाले लंका का नाश करेगा। बड़े हृदय से देखे तो आज इसी लंका से सीता मुक्त हो गई।
इधर जेएमएम ने भी इस पोस्ट का जवाब कुछ इस तरह दिया
सीता सोरेन जी ब्याह कर आयीं थी हमारे झामुमो परिवार में।
वे आदरणीय दिशोम गुरु शिबू सोरेन की बड़ी बहू हैं, एवं आदरणीय स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी की पत्नी हैं।
और रामायण याद करिए:
माँ सीता का अपहरण किया था – प्रकांड ज्ञानी रावण ने।
आपका बात से तो यह तत्पर्य निकलता है कि झारखंड लंका है ?
दूसरा – अर्जुन मुंडा से लेकर विद्युत वरण महतो एवं आपके कई अन्य गणमान्य नेतागण इसी झामुमो से निकले हैं।
साथ ही आदरणीय सीता सोरेन जी को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ।
दरअसल मुंबई में इंडिया गठबंधन में दिए गए कल्पना सोरेन के भाषण के बाद जिस तरीके से कल्पना सोरेन नेता के तौर पर स्थापित हो गईं उससे बीजेपी को एक महिला आदिवासी नेता की सख्त जरुरत महसूस हो गई औऱ इसी जरुरत को पूरा किया सीता सोरेन ने । दिशोम गुरु को परिवार तोड़ वो चलीं गईं मोदी के परिवार में । झारखँड में एक तरफ बीजेपी के पास है जेठानी तो दूसरी ओर हैं देवरानी कल्पना सोरेन । सीता सोरेन के पति जो कि झारखँड आंदोलनकारी रह चुके थे वे अब इस दुनिया में नहीं है औऱ कल्पना सोरेन के पति हेमंत सोरेन जेल में है।
जाहिर है, सियासत में इंट्री पति के नाम पर हुई है और देवरानी जेठानी दोनों अपने पति के साथ हुई नाइंसाफी को मुद्दा बनाएंगीं । लेकिन सवाल ये है कि भारी कौन पड़ेगा । सीता सोरेन राजनीति की पुरानी खिलाड़ी हैं । वो तीन बार की विधायक हैं और दूसरी ओर एकदम कच्ची खिलाड़ी कल्पना सोरेन जो एक्सिडेंटल पॉलिटिशियन हैं । सीता सोरेन के साथ बीजेपी जैसा संगठन हैं, मोदी का परिवार है और दूसरी ओर है जल जंगल जमीन की जंग लड़ने वाली पार्टी जेएमएम की कल्पना सोरेन जिनके पास है दिशोम गुरु शिबू सोरेन का परिवार । शिबू सोरेन उम्रदराज हो चुके हैं । पार्टी के ज्यादातर फैसले हेमंत सोरेन ही लेते हैं । गुरुजी का सिर्फ आशीर्वाद ही काम आता है । ऐसे में झारखंड से सबसे बड़े राजनीतिक परिवार में बीजेपी की सेँध को राजनीतिक तौर पर बड़ी कामयाबी माना जा रहा हैं। हांलाकि सीता सोरेन की नाराजगी और बीजेपी में जाने की पटकथा आज से नहीं बहुत पहले से लिखी जा रही थी, 2019 में हेमंत सोरेन सरकार में सीता सोरेन की अनदेखी से यह तय हो चुका था इस परिवार में मजबूरीवश हैं । सीता सोरेन सही सांस नहीं ले पा रहीं। रही सही कसर ed द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और फिर चंपाई सोरेन मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से पूरी हो गई । जेएमएम के अंदर घुट-घुट जीने से अच्छा सीता सोरेन ने खुल कर बगावत करने का फैसला किया । वैसे भी देवरानी की पॉलिटिकल लॉन्चिंग के बाद जेठानी के लिए स्पेस कम हो चुका था ।