रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने असम के मुख्यमंत्री और झारखंड बीजेपी के चुनाव सह प्रभारी हेमंता बिस्व सरमा को चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में उन्होने असम में चाय जनजाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग की है। उन्होने अपने पत्र में लिखा है कि चाय जनजाति की बहुत बड़ी आबादी झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओड़ीसा और छत्तीसगढ़ में मौजूद है जिन्हे अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त है लेकिन असम में इन्हे ओबीसी में रखा गया है।
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हेमंत सोरेन ने अपने पत्र में लिखा है कि मै असम में चाय जनजातियों के सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों से भली-भांति परिचित हूं, क्योकि उनमें से अधिकाशं झारखंड की मूल जनजातियां-संथाली, कुरूक, मुंडा, उरांव अन्य शामिल है, जिनके पूर्वज औपनिवेशिक शासन के दौरान काम करने असम चले गए थे। वे असम में हासिये पर है और अनुसूचित जनजातियों को मिलने वाले लाभों और सुरक्षा से वंचित है।
दो पेज में लिखे गए पत्र के माध्यम से हेमंत सोरेन ने असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्व सरमा को राजनीतिक तौर पर घेरने की कोशिश की है। झारखंड के संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला उठाकर आदिवासियों के मामले पर हेमंत द्वारा हेमंत सोरेन को घेरने की कोशिश के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री के इस पत्र से हेमंता को घेरने की कोशिश की है। इससे पहले हेमंता ने हो भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को लेकर अमित शाह से मुलाकात की थी और ये संदेश दिया था कि वो झारखंड में आदिवासियों को लेकर चिंतित है।