ग्रामीण विकास विभाग की अनुदान मांग पर वाद-विवाद के बाद ध्वनिमत से पारित, कटौती प्रस्ताव अमान्य
रांची। झारखंड विधानसभा में भोजनावकाश के बाद भाजपा विधायक अनंत ओझा द्वारा ग्रामीण विकास विभाग के अनुदान मांग पर भाजपा के अनंत ओझा द्वारा लाये गये कटौती प्रस्ताव पर चर्चा हुई। चर्चा में पक्ष विपक्ष के कई सदस्यों ने भाग लिया। वाद-विवाद के बाद सरकार की ओर से उत्तर देते हुए ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने बताया कि कोरोना काल में मनरेगा योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया।
इससे पहले चर्चा की शुरूआत विधायक अनंत ओझा ने की। जबकि चर्चा के पक्ष विपक्ष में विधायक बैजनाथ राम, नवीन जायसवाल, उमाशंकर अकेला, बंधू तिर्की, विनोद सिंह, लंबोदर महतो, अमित यादव, दशरथ गागराई व इरफान अंसारी ने हिस्सा लिया और विधायक निधि की राशि बढ़ाने, पंचायत चुनाव समेत कई बातें रखी गई।
चर्चा के पश्चात ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम ने सरकार की ओर से उत्तर देते हुए कहा कि सभी सदस्यों पर विभाग द्वारा अमल किया जायेगा। उन्होंने कहा कि विरोधी दलों की ओर से मनरेगा योजना को मरा हुआ योजना बताया गया। लेकिन पूरे कोरोना काल में लोगों को मनरेगा के तहत ही रोजगार मिला और हेमंत सरकार द्वारा राज्य मद से मनरेगा मजदूरी में 27 रूपये की बढ़ोत्तरी की गई।
अनुदान मांगों पर चर्चा के बाद सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी भाजपा विधायकों के सदन से बर्हिगमन किया। जबकि सरकार के उत्तर के बाद कटौती प्रस्ताव अमान्य करते हुए अनुदान मांग को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गयी। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को कल पूर्वाह्न 11 बजे के तक के लिए स्थगित कर दी।
मनरेगा को मरा हुआ बताया गया, पर कोरोना काल में रिकॉर्ड लोगों को इन योजनाओं के माध्यम से रोजगार मिला-आलमगीर

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