झारखंड का मुख्यमंत्री कौन है? क्या झारखंड में राष्ट्रपति शासन है? क्या झारखंड में संवैधानिक संकट है?
रांची..31 जनवरी रात पौन नौ बजे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दे दिया । राज्यपाल ने स्वीकार भी कर लिया । हेमंत ने चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने का आग्रह भी कर दिया । दिन भर बुलावे के इंतजार के बाद चंपई सोरेन 1 फरवरी को शाम साढ़े पांच बजे दोबारा गए । राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से आग्रह किया कि पूरा बहुमत उनके साथ है फिर शपथ क्यों नहीं कराते ।
हेमंत के इस्तीफे के 24 घंटे खत्म हुए लेकिन राज्यपाल की ओर से कोई इशारा नहीं हुआ । लिहाजा महागठबंधन के 43 विधायकों ने पहले ऑन कैमरा गिनती गिनाई फिर निकले गए एयरपोर्ट की ओर । सवाल ये उठता है कि देरी किसके तरफ से हो रही है । संवैधानिक संकट के लिए कौन जिम्मेदार है । मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया है क्योंकि उन्हें गिरफ्तार किया गया । संवैधानिक जानकार तो ये भी कहते हैं कि जैसे ही कोई मुख्यमंत्री इस्तीफा देता है तो राज्यपाल उसे ही कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाने के लिए बाध्य है । मगर झारखंड में क्या हुआ । 29 जनवरी से झारखंड में जो सियासी खेल खेला जा रहा है उसके खिलाड़ी सिर्फ सत्ता पक्ष नहीं बल्कि कई हैं ।
सवाल ये उठता है कि फैसले में देरी क्यों हो रही है । जेएमएम के विधायक तो यह कह रहे हैं कि बिहार में सुबह इस्तीफा और शाम शपथ ग्रहण हो जाता है जबकि नीतीश कुमार तीसरे नंबर के दल के नेता थे तो झारखंड में सबसे बड़े दल को मौका क्यों नहीं । चलती हुई सरकार के मुखिया ने इस्तीफा दिया है उसकी सदस्यता बरकरार है, किसी ने समर्थन वापसी का ऐलान नहीं किया फिर दिक्कत कहां ।
इन तमाम सवालों के बीच झारखंड में बीजेपी भी शुक्रवार यानी 2 फरवरी को विधायकों की बैठक करने वाली है । इस बैठक का क्या अर्थ है इसे समझने के लिए कल तक का इंतजार करना होगा । मगर झारखंड में एक बार फिर वो सियासी खेल चल रहा है जिसके लिए बदनाम रहा है, यानी खरीद फरोख्त के लिए । मगर इसका जिम्मेदार कौन ?