रांचीः झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी ने बोकारो के चास थाना क्षेत्र के एक जमीन विवाद मामले में दो याचिकाकर्ताओं की अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं। साथ ही, अदालत ने याचिकाकर्ताओं के वकील राकेश कुमार के अदालती कक्ष में ‘उपद्रवी’ और ‘धमकी भरे’ आचरण पर गंभीर असंतोष जताया है। अदालत ने इसे आपराधिक अवमानना का मामला बताया, लेकिन बार के सदस्यों के अनुरोध पर वकील के खिलाफ तत्काल कार्रवाई न करते हुए मामला झारखंड राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष को भेजने का निर्देश दिया है।
यह मामला चास थाना के अंतर्गत दर्ज पीएस केस नंबर 72/2025 का है, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगे हैं। याचिकाकर्ताओं के वकील ने दावा किया था कि उनके मुवक्किलों को झूठे फंसाया गया है और विवादित जमीन पर उनका मालिकाना हक है।
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हालांकि, अदालत ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया। न्यायमूर्ति द्विवेदी ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं पर 80 वर्षीय मुखबिर की जमीन हड़पने के गंभीर आरोप हैं और उनका आपराधिक इतिहास भी सामने आया है। अदालत ने कहा कि झारखंड में इस तरह के अपराध बहुत आम हैं और ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत देना उचित नहीं होगा।
जमानत याचिका खारिज होने के बाद याचिकाकर्ताओं के वकील राकेश कुमार ने अदालत कक्ष में जोर-जोर से बहस शुरू कर दी और न्यायाधीश को सुप्रीम कोर्ट जाने की धमकी दी। अदालत ने इस घटना को न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने और अदालत की अवमानना का प्रयास बताया।
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आदेश में कहा गया है कि वकील का यह आचरण न्यायपालिका की साख पर हमला है। हालांकि, अदालत में मौजूद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव और अन्य वरिष्ठ वकीलों ने वकील राकेश कुमार को एक मौका देने की गुजारिश की। इसपर अदालत ने उनके खिलाफ तत्काल अवमानना की कार्रवाई न करते हुए मामले की जांच का दायित्व झारखंड राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष को सौंपा है। घटना के समय बार काउंसिल के अध्यक्ष भी अदालत कक्ष में मौजूद थे। न्यायालय के रजिस्ट्री को यह आदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष को तत्काल भेजने के निर्देश दिए गए हैं







