रांची: झारखंड के दो युवा चेहरे एक साथ एक मंच पर नजर आये। दिल्ली में इंडियन स्कूल ऑफ डमोक्रेसी के मंच पर जेबीकेएसएस के जयराम महतो और कांग्रेस की बड़कागांव से विधायक अंबा प्रसाद एक साथ नजर आये। यहां ये दोनों नेशनल राउंड टेबल कांफ्रेंस में बतौर स्पीकर शामिल हुए। इसमें देश भर के अलग अलग पार्टियों के विधायक, सांसद और नेता जमीनी स्तर पर लोकतंत्र आगे की आकांक्षाएं चुनौतियां विषय पर आयोजित गोलमेज सम्मेलन में वक्ता के रूप में अपने अनुभवों को साझा किया। झारखंड के प्रतिनिधि के रूप में अंबा प्रसाद और जयराम महतों ने अपने विचार रखें।
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जयराम महतो ने बताया कि कैसे एक छात्रा आंदोलन से उनके चुनावी राजनीति में आने का सफर तय हुआ। जयराम ने बताया कि एक स्टूडेंट आंदोलन के माध्यम से वो राजनीति में आये, कभी देखा और सोचा नहीं था कि राजनीति में आएंगे। कभी मुखिया का चुनाव नहीं लड़ा तो सांसद का चुनाव कैसे लड़ेंगे सोचा नहीं था। स्टूडेंट का प्रटोस्ट था वहं आये थे मीडिया के सामने अपनी बातों को रखा था, वहां से मेरे विचारों का राज्य के अंदर फैलना शुरू हुआ। इसके बाद प्रखंड और पंचायत में सभाएं होनी लगी, लोग हमें सुनने लगे, कभी कभी दो बजे रात, चार बजे रात तक हमें सुनने लगे। एक साल पहले 18 जून को हमें तय किया कि हम लोेकसभा चुनाव लड़ेंगे। छह महीने बाद हमलोगों ने अपनी पार्टी का रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दिया लेकिन अभी तक रजिस्ट्रेशन भी नहीं हुआ है। एक साल से कम समय में चुनाव लड़े और बहुत ही दमदार तरीके से चुनाव लड़े। झारखंड के इतिहार में ये पहली बार हुआ है कि एक निर्दलीय उम्मीदवार 27 प्रतिशत वोट लेकर आया है। साढ़े तीन लाख वोट हम गिरिडीह से लेकर आये है। हमने आठ प्रत्याशी चुनाव में उतारा था उनमें छह प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे। इसके बाद मै कहा सकता हूं कि झारखंड के परिपेक्ष में जनता बदलाव चाहती है। थोड़ा बहुत बदलाव होना चाहिए।
जयराम ने आगे कहा कि उन पार्टियों के खिलाफ चुनाव लड़ना जो 40 साल पुरानी है, 50 साल पुरानी है, जिनके पास हर बूथ पर आदमी है, उनके पास धनबल है, उनसे टकराना संभव नहीं था। हमने जनता का आशीर्वाद लेकर दिखा दिया कि बस केवल साल भर के मेहनत में साढ़े तीन लाख वोट लेकर हम आये है, अगर हमारे पास टीम होती तो पहला ही चुनाव हम जीत जाते। जो जीते वो साढ़े चार लाख वोट लाये, जो दूसरे नंबर पर रहे वो तीन लाख सत्तर हजार वोट लाये। इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार से सिर्फ 20 हजार वोट कम हमारे पास था।
राष्ट्रीय पार्टी साथ लड़ना चाहती है
जयराम ने आगे राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पर कहा कि झारखंड में तो सबसे ज्यादा प्रभावित तो महिलाएं ही होती है। अंबा प्रसाद का उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि वो जिस क्षेत्र से आती है वहां सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएं होती है क्योकि वो खनन का क्षेत्र है, वहां विस्थापन एक समस्या है। जहां विस्थापन होता है वहां महिलाओं को सबसे ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नये झारखंड में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होगी। मुझे चुनाव में जो वोट मिला उसमें 40 फीसदी वोट महिलाओं का था। हमने अपने मुद्दों से महिलाओं को कनेक्ट किया इसलिए वो हमारे लिये खुलकर आई। मेरे गिरिडीह लोकसभा में 2261 बूथ है जिसमें से हजार बूथ पर तो हमारा एजेंट तक नहीं बैठा था, फिर भी हमें इतना वोट मिला। नवंबर में जो विधानसभा चुनाव होने वाले है उसमें हम बेहतर करेंगे। मीडिया में भी ये ही कहा जा रहा है कि हमलोगों ने चुनाव हार भी झारखंड की राजनीति में नायक बना। जो राष्ट्रीय पार्टियां है जिनका सिंबल है वो भी हमारे साथ टाइअप करके .चुनाव लड़ना चाहती है, लेकिन उनको हमने कह दिया है कि आपकी विचारधारा हमसे मिलती नहीं है, हम नई राजनीति करेंगे। चुनाव में नहीं जीतेंगे ये मंजूर है हम सिद्धांत से समझौता नहीं करेंगे।