रांचीः वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सरकार के कई विभागों पर योजना मद में कम खर्च को लेकर नाराजगी जताई है। राज्य में कुशल वित्तीय प्रबंधन पर वित्त मंत्री ने जोर दिया है। उन्होने वित्तीय वर्ष के तीन महीने यानी जून तक विभिन्न विभागों द्वारा विकास की राशि कम खर्च किये जाने के मामले में राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी को पत्र भेजा है।
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राधाकृष्ण किशोर ने मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी में कहा है कि कई विभाग ने शून्य खर्च किये हैं, यह सरकार के लिए चिंता का विषय है। मंत्री मंत्री ने मुख्य सचिव को सुझाव दिया है कि कम खर्च करनेवाले सचिवों की बैठक बुलायें। वित्त मंत्री ने पत्र में कहा है कि कृषि, संबद्ध कृषि और पशुपालन में 23 जून तक व्यय राशि शून्य है। इसी तरह पेयजल व स्वच्छता विभाग का खर्च 0.15 प्रतिशत है। पंचायती राज विभाग ने भी शून्य राशि खर्च किया है। जल संसाधन विभाग का खर्च 14.58 प्रतिशत है।
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वित्त मंत्री ने पत्र में कहा है कि राज्य की हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी इंडिया गठबंधन की सरकार राज्य में एसटी-एससी, अल्पसंख्यक व पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। चिंता की बात है कि इन कमजोर वर्गो के विकास के लिए जून 2025 तक मात्र दो प्रतिशत की राशि खर्च की गयी। विभागों को व्यय में तेजी लाने का निर्देश दें। वित्त मंत्री राधकृष्ण किशोर ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की प्राथमिकता ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सृदृढ़ करना, झारखंडियों की आय में वृद्धि करना और क्रय शक्ति बढ़ाना है।
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उन्होने मुख्य सचिव से कहा कि राज्य के विकास के लिए मजबूत वित्तीय प्रबंधन होना जरूरी है। समय सीमा के अंदर राजस्व संग्रहण और योजना व्यय कुशल वित्तीय प्रबंधन होना चाहिए। वित्तीय वर्ष के पहले आठ से दस महीने में योजना मद की लगभग 50 प्रतिशत से 55 प्रतिशत राशि खर्च हो पाती है। अंतिम दो-तीन महीने में अचानक योजना मद में खर्च की राशि बढ़ जाती है। वित्त मंत्री के रूप में महसूस किया है कि वर्ष के अंत में निकाली गयी राशि पीएल एकाउंट में जमा कर दी जाती है। यह कहीं से कुशल वित्तीय प्रबंधन नहीं है।







