रांची: केंद्र सरकार द्वारा झारखंड का बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपया देने की मांग ठुकराये जाने के मामले ने झारखंड की राजनीति को तेज कर दिया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष इस मामले पर एक बार फिर आमने सामने है। सत्ता पक्ष जहां एक ओर कह रहा है कि ये झारखंड के लोगों का हक है और इसे केंद्र सरकार को किसी भी कीमत पर देना होगा, इसके लिए कानून का भी सहारा लिया जा रहा है तो दूसरी ओर बीजेपी बकाये के दावे को भ्रामक और हवा हवाई बता रही है।
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बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी द्वारा राज्य सरकार के केंद्र पर 1.36 लाख करोड़ बकाये की मांग को हवा हवाई और भ्रामक-निराधार कहे जाने का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि हम झारखंडियों की माँग हवा-हवाई नहीं है आदरणीय बाबूलाल जी।
यह हमारे हक़, हमारे मेहनत का पैसा है।
झारखंडी हकों का आपका यह विरोध वाक़ई दुखद है। जब आपको अपने संगठन की पूरी ताक़त लगा कर हमारे साथ खड़ा होना था – आप विरोध में खड़े हो गए।खैर, हम अपना हक़ अवश्य लेंगे, क्यूंकि यह पैसा हर एक झारखंडी का हक़ है।
हम झारखंडियों की माँग हवा-हवाई नहीं है आदरणीय बाबूलाल जी।
यह हमारे हक़, हमारे मेहनत का पैसा है।
झारखंडी हकों का आपका यह विरोध वाक़ई दुखद है। जब आपको अपने संगठन की पूरी ताक़त लगा कर हमारे साथ खड़ा होना था - आप विरोध में खड़े हो गए।
खैर, हम अपना हक़ अवश्य लेंगे, क्यूंकि यह… https://t.co/5zdGb0MA6R pic.twitter.com/Bk4SWXqZ4J
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) December 18, 2024
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इससे पहले बाबूलाल मरांडी ने मंगलवार को राज्य सरकार की इस मांग को खारिज करते हुए अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा था कि झामुमो के द्वारा हवा-हवाई बातें कर केंद्र सरकार पर ₹1.36 लाख करोड़ का बकाया रखने का निराधार और भ्रामक आरोप लगाया जा रहा है।
अगर झामुमो के पास इस आंकड़े को लेकर कोई ठोस प्रमाण है, तो वे पूरे दस्तावेज़ और तथ्यों के साथ जनता के सामने रखें। झामुमो को स्पष्ट करना चाहिए कि ये राशि किस मद की है? कब से लंबित है और किन परिस्थितियों में यह दावा किया जा रहा है?
@HemantSorenJMM जी, झूठे आरोपों और गलत आंकड़ों के सहारे केंद्र सरकार पर दोषारोपण करने की बजाय झारखंड की असल समस्याओं पर ध्यान दीजिए। बिना प्रमाण और आधारहीन आरोप लगाकर झारखंड की जनता को भ्रमित करने का यह खेल अब बंद होना चाहिए।महिलाओं को प्रतिमाह 2500 रुपए, किसानों को प्रति क्विंटल धान के 3200 रुपए और युवाओं को नौकरी देने के झूठे वादे का भंडाफोड़ हो चुका है। इसलिए केंद्र सरकार पर अनर्गल आरोप लगाकर आप अपनी विफलताओं को छिपा सकते। जनता को गुमराह करने की राजनीति से झारखंड का भला नहीं होगा। पूरे तथ्य और प्रमाण के साथ शुचिता की राजनीति करना सीखिए।