गांडेय विधानसभा उपचुनाव: में क्या बीजेपी के दिलीप वर्मा ने कल्पना सोरेन से हार मान ली है । क्या दिलीप वर्मा सिर्फ डमी कैंडिडेट हैं और कल्पना सोरेन को हराने के लिए बीजेपी इतनी मेहनत करती क्यों नहीं दिख रही । इस तरह के तमाम सवालात झारखंड खासतौर से गिरिडीह जिले में तैर रहे हैं। कल्पना सोरेन धुंआधार प्रचार कर रही हैं। गांव-गांव के दौरे पर हैं। हर किसी से मिलती हुई नजर आ रही हैं, बड़ों को प्रणाम करती हुई और हम उम्र महिलाओं के साथ सेल्फी लेती हुई नजर आ रही हैं। मगर दिलीप वर्मा कहां है । आखिर वो इतने एक्टिव क्यों नजर नहीं आ रहे ।
गांडेय विधानसभा उपचुनाव है सेमीफाइनल
गांडेय विधानसभा उपचुनाव झारखंड विधानसभा का सेमीफाइनल माना जा रहा है और ऐसी स्थिति में बीजेपी के उम्मीदवार दिलीप वर्मा उस तरह से मेहनत करते हुए नजर नहीं आ रहे हैं जैसा कि कल्पना सोरेन खुद कर रही हैं। कल्पना सोरेन सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं। अपने हर दौरे की तस्वीरें पोस्ट करती हैं। चाहे किसी से मिल रही हों या फिर कहीं का दौरा कर रही हो , उनके बारे में जानकारियां आसानी से उपलब्ध हैं। गांडेय विधानसभा के हर पंचायत में जाने की कोशिश करते हुए दिख रही कल्पना सोरेन को जीत के लिए जो राजनीति और जातिगत समीकरण चाहिए उसमें वो बीजेपी के दिलीप वर्मा से बीस हैं । फिर भी वो कोई कसर छोड़ती हुई नजर नहीं आ रही हैं। इसलिए सुबह से लेकर देर रात तक वो इलाके में जनसंपर्क अभियान चलाने में व्यस्त है।
गांडेय में बीजेपी ने कल्पना से हार मान ली
गांडेय विधानसभा में बीजेपी के प्रत्याशी दिलीप वर्मा के सोशल पोस्ट पर नजर डालें तो रिट्वीट और रिपोस्ट करते हुए नजर आते हैं। जनसंपर्क अभियान की जो भी तस्वीरें डाली गई हैं उसमें कोई खासा उत्साह नजर नहीं आता है । अपने नामांकन की तस्वीरें भी वो एक दिन बाद डालते हुए नजर आते हैं। इन हालातों में माना जा सकता है कि बीजेपी ने गांडेय में कल्पना सोरेन को वाकओवर दे दिया है। बीजेपी के तमाम बड़े नेता लोकसभा सीटों को जीतने में लगे हैं लेकिन दिलीप वर्मा को जीताने के लिए कोई मैदान में साथ देता हुआ नजर नहीं आ रहा ।
बीजेपी के लिए मुश्किल सीट है गांडेय विधानसभा
कल्पना सोरेन और दिलीप वर्मा के बीच टक्कर कैसी होने वाली है वो तो इन तस्वीरों से साफ है । वैसे भी 1977 से अभी तक गांडेय विधानसभा पर सिर्फ दो बार बीजेपी का झंडा लहराया, 1995 में लक्ष्मण स्वर्णकार और 2014 में बीजेपी के जयप्रकाश वर्मा । लेकिन बीजेपी ने इस बार बाबूलाल की पुरानी पार्टी जेवीएम के नेता दिलीप वर्मा को मैदान में उतारा है । दिलीप वर्मा को उतारने की वजह जो भी रही हो लेकिन उनकी पार्टी उन्हें जीताने के लिए मेहनत करती क्यों नजर नहीं आ रही है यही सवाल इलाके में उनके समर्थक भी पूछ रहे हैं।