साहिबगंज: जिले में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण भयंकर बाढ़ आई है, जिससे कई इलाके जलमग्न हो गए हैं और लोग कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। बाढ़ के चलते कई घर बह गए हैं, मवेशियों की मौत हो गई है और लोग भोजन, पानी और बिजली जैसी जरूरी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। एक महीने से ज्यादा समय से प्रभावित लोग बाढ़ से जूझ रहे हैं, लेकिन उन्हें न तो प्रशासन से और न ही जनप्रतिनिधियों से कोई मदद मिली है, जिससे उनकी परेशानियां और बढ़ गई हैं।
कई दिनों से बढ़ रहा है जलस्तर
गंगा नदी का जलस्तर कई दिनों से लगातार बढ़ रहा है, जिसके चलते साहिबगंज के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया है। नदी का तेज बहाव और कटाव इतना जबरदस्त है कि कई परिवारों के घर पानी में समा गए हैं। मवेशी भी तेज धारा में बह गए हैं। इसके बावजूद, बाढ़ पीड़ितों को अभी तक प्रशासन की ओर से कोई राहत नहीं मिली है, जिससे लोगों की चिंताएं और बढ़ गई हैं।
साहेबगंज के किशन प्रसाद ग्राम पंचायत से लालबथानी मखमलपुर को जोड़ने वाली सड़क बाढ़ के कारण पूरी तरह जलमग्न हो चुकी है। सभी से अपील है कि सुरक्षित स्थानों पर रहें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। #StaySafe @JharkhandCMO @HemantSorenJMM pic.twitter.com/ql3zoqvLo6
— DC Sahibganj (@dc_sahibganj) September 24, 2024
मवेशियों के लिए चारे की कमी
जिला परिषद उपाध्यक्ष सुनील यादव लगातार बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने कारगिल दियारा, लाल बथानी, किशन प्रसाद समेत कई प्रभावित गांवों का दौरा किया और लोगों से उनकी समस्याएं सुनीं। बाढ़ प्रभावित लोगों ने बताया कि मवेशियों के लिए चारा की भारी कमी है। उनके पास मवेशियों को खिलाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है और प्रशासन की ओर से अब तक कोई सहायता नहीं मिली है। इससे मवेशियों की जान पर खतरा मंडरा रहा है।
15 दिन पहले मिला था चूड़ा और गुड़
प्रभावित लोगों ने कहा, “हम एक महीने से बाढ़ की मार झेल रहे हैं, लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने हमारी कोई सुध नहीं ली है। 15 दिन पहले थोड़ा चूड़ा और गुड़ दिया गया था, लेकिन उसके बाद कोई मदद नहीं मिली।” गांवों में कई दिनों से बिजली नहीं है और केरोसिन तेल भी नहीं मिल रहा, जिससे लोग अंधेरे में जीने पर मजबूर हैं। बिजली न होने के कारण मवेशियों पर भी खतरा बढ़ गया है। कुछ मवेशियों की तो रात के अंधेरे में सांप के काटने से मौत हो गई। लोगों ने बताया कि मवेशियों के लिए चारा, पीने का साफ पानी और दवाइयां जैसी बुनियादी चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं। लगातार पानी में रहने से उनके पैरों में संक्रमण हो गया है और उन्हें रहने के लिए तिरपाल या अन्य राहत सामग्री भी नहीं मिली है।