प्रवर्तन निदेशाला ने कोर्ट में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के लिए जो आधार बताया है उसके मुताबिक
- 13 अप्रैल ,2023 को छापेमारी में रेवेन्यू सब इंस्पेक्टर भानु प्रताप प्रसाद के यहां बड़े पैमाने पर जमीन से जुड़े रिकॉर्ड ,रजिस्टर मिले
- 1 जून 2023 को रांची में भानुप्रताप के खिलाफ रांची पुलिस ने केस दर्ज किया था।इसके बाद 26 जून,2023 को रांची पुलिस की एफआईआर पर इस मामले में ईडी ने मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया
- जांच में पता चला की भानुप्रताप एक उस बड़े सिंडिकेट का हिस्सा था जो बड़े पैमाने पर सरकारी जमीनों की फर्जी सेल डीड बनाकर ,रेवेन्यू रिकॉर्ड में हेराफेरी कर जमीनों पर कब्जा करवाने में लगे थे
- ऐसी कई जमीन पर हेमंत सोरेन का भी कब्जा था और ये उनके स्वामित्व में थीं
- सोरेन की ऐसी कई संपत्तियों की जानकरियां भानुप्रताप के मोबाइल से मिलीं
- *ऐसी 12 जमीन के टुकड़ों की लिस्ट मिली जो करीब 8.5 एकड़ में थीं*
- इन जमीनों पर हेमंत सोरेन ने अवैध तरीके से कब्जा किया था
- इन जमीनों की तस्वीरों में भानुप्रताप ने हाथ से कुछ लिखा भी था और उन्हें वेरिफाई भी किया था
- इस मामले में कई और लोगों के पीएमएलए के तहत बयान दर्ज किए उन्होंने भी बताया की ये जमीन के टुकड़े सोरेन ने अवैध तरीके से कब्जा किए हैं और इन पर सोरेन का स्वामित्व है
- ईडी ने पीएमएलए के तहत एक सर्वे किया और पाया की इन जमीनों पर सोरेन का अवैध कब्जा है
- सोरेन के दिल्ली के घर से सर्च के दौरान कमरे से 36 लाख से ज्यादा कैश और जमीनों के दस्तावेज मिले
- ये 8.5 एकड़ जमीन अपराध से कमाई आय का हिस्सा है
- सोरेन सीधे तौर पर इन जमीनों के अधिग्रहण और कब्जा करने में सीधे तौर पर जुड़े हैं और अपराध से आय अर्जित करने में वो सीधे तौर पर शामिल हैं
- इस सब बातों को देखते हुए , भानुप्रताप के साथ सीधे इस सिंडिकेट में जुड़ना और जमीनों पर अवैध तरीके से कब्जा करना पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी का पुख्ता आधार है