धनबाद: देश में लोकसभा चुनाव का महौल है, सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे की घेराबंदी कर रहे है। लेकिन एक घेराबंदी धनबाद और बोकारो को जोड़ने वाली सड़क पर स्थित बिरसा पुल की हो रही है। जर्जर अवस्था में इस पुल को बांस के सहारे एक दूसरे से जोड़ा गया है। पूरा का पूरा पुल बांस पर टिका हुआ है। बांस के सहारे ही पुल का पिलर है।
NH पर बांस का पुल
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धनबाद से चंदनक्यारी के रास्ते बोकारो जाने वाले लोगों के लिए बिरसा पुल ही एकमात्र सहारा है। पुल की सुध लेने वाला कोई नहीं है। पुल का पिलर से लेकर रेलिंग तब सब जर्जर स्थिति में है। एनएच पर स्थित इस पुल में मरम्मती के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। स्थानीय लोग बताते है कि करीब 10 साल से पुल ऐसे ही जर्जर स्थिति में है। राज्य के बड़े राजनेता से लेकर बड़े अधिकारी हो या केंद्र के बड़े अधिकारी, सांसद, विधायक हो सभी इस जर्जर पुल से होकर गुजरते है, लेकिन सब इसकी अनदेखी ही करते रहे है। इस पुल से गुजरकर रोजाना सैकड़ों गाड़ियां गुजरती है, चाहे वो हाइवा हो या ट्रक हो या फिर सवारी गाड़ी सब जान जोखिम में डालकर इस पुल से गुजरते है। शायद सरकार को इस पुल को ठीक करने के लिए किसी बड़े हादसे का इंतजार है। राष्ट्रीय राज्यमार्ग धनबाद प्रमंडल ने खानापर्ति के लिए पुल पर जाने से पहले लिख दिया गया कि पुल जर्जर है 20 किलोमीटर के रफ्तार से चले।
40 साल पहले बना था पुल
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भगवान बिरसा मुंडा के नाम से सुदामडीह मोहलबनी स्थित दामोदर नदी पर 40 वर्ष पूर्व बना बिरसा पुल इन दिनों जर्जर हो गया है। लोगों की लाइफ लाइन इस पुल पर चलना खतरनाक साबित हो रहा है। बावजूद इसके सरकार व जिला प्रशासन उदासीन है। पुल की सड़कों पर दर्जनों स्थानों पर गड्ढे हो गए हैं। काली परतें उखड़ने के कारण छड़ें भी बाहर निकल गई है। पुल पर लाइट की व्यवस्था नहीं होने से रात में अंधेरा पसरा रहता है। इससे राहगीर दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। पुल के दोनों तरफ की रेलिंग कई जगह टूट कर गिरने लगी है। इस पुल से रोज हजारों भारी वाहनों का आवागमन होता है। धनबाद को बोकारो व बंगाल से यह पुल जोड़ता है। समय रहते पुल की मरम्मत की दिशा में प्रशासन व जनप्रतिनिधियों ने ध्यान नहीं दिया तो इसकी स्थिति और खराब हो सकती है। कुछ माह पहले पुल की रेलिग तोड़कर दूध का 407 वाहन नदी में गिर गया। पुल दिनोंदिन खतरनाक होता जा रहा है।
वर्ष 1980 में बिहार सरकार ने 90 लाख रुपये की लागत से बिरसा पुल का निर्माण कराया था। पुल का उद्घाटन तत्कालीन सांसद एके राय ने किया था। पुल के बनने से लोगों को बोकारो आने-जाने में काफी सुविधा मिली। पुल से धनबाद, झरिया व सिदरी को झारखंड के बोकारो, टाटा, जमशेदपुर, रांची, पश्चिम बंगाल के संथालडीह, आद्रा, रघुनाथपुर, बांकुड़ा, उड़ीसा, वेल्लोर व दक्षिण भारत के अन्य जिलों व राज्य को भी जोड़ता है।