रांचीः आर्थिक मामलों के जानकार सूर्यकांत शुक्ला का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में देश की विकास दर आठ प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान है और निजी खपत में बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था में तेजी जाएगी।
सूर्यकांत शुक्ला ने कहा कि देश के आर्थिक विकास दर से संबंधित आंकड़े 31 मई को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय जारी करेगा। जिसमें गत वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही यानी जनवरी-मार्च के दौरान और पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर कितनी हुई, इसका आंकड़ा सरकार जारी करेगी। गत वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में जीडीपी मे वृद्धि दर क्रमशः 8.2, 8.1 और 8.4 प्रतिशत रही थी।परंतु अंतिम तिमाही यानी जनवरी मार्च 2024 में जीडीपी की ग्रोथ रेट सबसे कम रहने वाली है, ऐसा आर्थिक मामलों के जानकारों की एकमत राय है। बीते वित्त वर्ष के पूरे साल भर में जीडीपी की वृद्धि दर 8 प्रतिशत के आसपास रही है।
इकोनॉमी की सेहत बताने वाले जीडीपी डेटा को यद्यपि सर्वाधिक स्वीकार्यता है तो भी यह सभी सूक्ष्म पहलुओं को प्रकट नही कर पाता है। उदाहरण के लिए उत्पादन में वृद्धि शून्य हो तो भी जीडीपी में वृद्धि दर्ज होगी यदि मंहगाई बढ़ जाती है। क्योंकि किसी अर्थव्यवस्था में एक निश्चित अवधि में उत्पादित सकल वस्तओं और सेवाओं के मूल्यों का कुल योग ही जीडीपी है। इसी तरह जीडीपी के सभी कारक स्थिर रहें परंतु सबसिडी बिल कम हो जाये, तो भी जीडीपी वृद्धि दर्ज करेगी।
दिसंबर तिमाही में जीडीपी में जो रिकार्ड वृद्धि 8.4 प्रतिशत दर्ज की गयी थी तो उसमें सबसिडी बिल में आयी गिरावट एक महत्वपूर्ण कारक था। विकास की गाड़ी का सबसे बड़ा इंजन-निजी खपत खर्च का होता है। दिसम्बर तिमाही में जब 8.4 प्रतिशत की दर से देश की विकास दर बढ़ी थी तब उसी अवधि में निजी खपत खर्च मात्र 3.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी यानी लोग अपने खपत खर्च मे गिरावट देख रहे थे।
मालूम रहे कि देश की जीडीपी में निजी खपत खर्च का योगदान लगभग 60 प्रतिशत जैसा है। आम आदमी अपने निजी खर्चे में इजाफा देख पाता है तो माना जायेगा कि फास्टेस्ट ग्रोथ का फायदा नीचे तक पहुंच पा रहा है। इसके उलट यदि ग्रोथ फास्टेस्ट तो है परंतु आम आदमी खर्चा नही कर पा रहा तो फास्टेस्ट ग्रोथ का फायदा ऊपर के वर्ग मे ही सिमटा जा रहा है। जीडीपी ग्रोथ नम्बर में गहराई में जाने की जरूरत है यदि इकोनॉकी के मर्म को समझना है तो निजी खपत खर्च के आंकड़े को भी देखना चाहिए, जो इकोनॉकी की बेहतर तस्वीर पेश करते हैं। जीडीपी में निजी खपत खर्च के आंकड़े अर्थव्यवस्था की सही तस्वीर पेश करते हैं।