रांचीः झारखंड में कांग्रेस कोटे से बने मंत्रियों और विधायकों के बीच का टकराव सामने आ गया है। मीडिया में चल रही खबरों और ऑडियो-वीडियो क्लिप सामने आने के बाद पार्टी आलाकमान ने हस्तक्षेप किया। सोमवार को कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ कांग्रेस के विधायक और मंत्रियों की बैठक हुई। इस बैठक में झारखंड कांग्रेस के प्रभारी के राजू और अध्यक्ष केशव कमलेश महतो भी मौजूद रहे। इस बैठक में कांग्रेस के कुल 14 विधायक शामिल हुए। इसमें पाकुड़ से विधायक निशात आलम और बोकारो विधायक श्वेता सिंह शामिल नहीं हो सकी।
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केसी वेणुगोपाल ने मीडिया में आई मंत्री और विधायक के विवाद को लेकर नाराजगी जताई। रामगढ़ से कांग्रेस विधायक ममता देवी और स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के बीच कांग्रेस विधायक दल की बैठक में हुए टकराव पर घोर आपत्ति जताई। यहीं नहीं विधानसभा के अंदर कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव और मंत्री इरफान अंसारी के बीच हुई नोंकझोंक पर वेणुगोपाल नाराज हुए। जिस तरह से सार्वजनिक मंच पर कांग्रेस के नेता एक दूसरे को नीचा दिखाने का काम कर रहे है उससे पार्टी आलकमान की नाराजगी से वेणुगोपाल ने विधायकों और मंत्रियों को अवगत कराया।
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कांग्रेस विधायक दल की बैठक के अंदर का ऑडिया वायरल होने और विधायक दल के नेता प्रदीप यादव के साथ नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी का वीडियो मीडिया में जिस तरह से पेश की गई उससे कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंचा है। पार्टी के अंदर एक दूसरे के प्रति अविश्वास ने कांग्रेस का काफी फजीहत कराई है। वेणुगोपाल ने कांग्रेस कोटे के मंत्रियों और विधायकों को अंतिम चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा आगे भी हुआ तो कठोर कार्रवाई की जाएगी। बजट सत्र के दौरान भी प्रदीप यादव और इरफान अंसारी के बीच नोंकझोंक हुई थी। शीतकालीन सत्र के दौरान प्रदीप यादव के साथ एक बार और इरफान अंसारी में टकराव हुआ जिसमें मंत्री दीपिका पांडे सिंह खुलकर इरफान अंसारी के समर्थन में आ गई।
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कांग्रेस के नेताओं के बीच एकजुटता की कमी को कांग्रेस महासचिव ने काफी गंभीरता से लिया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ तालमेल को भी बेहतर करने का निर्देश वेणुगोपाल ने विधायकों को दिया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से कांग्रेस के विधायक आपस में एक दूसरे के पैर खींचने में लगे रहते है उससे गठबंधन भी प्रभावित होता है। जेएमएम के साथ संबंध को बेहतर और मजबूत किये जाने पर जोर दिया है क्योंकि ऐसी हरकतों से गठबंधन कमजोर होता है। कांग्रेस के विधायक और मंत्रियों के बीच टकराव के बीच प्रदेश अध्यक्ष केशव कमलेश महतो का मूकदर्शक बने रहना भी कई सवाल खड़े करते है। पिछली सरकार के कार्यकाल में भी कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे थे इस कार्यकाल के एक साल के अंदर ही करवाहट की खबरें मीडिया में सार्वजनिक हो गई है ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही कांग्रेस आलाकमान झारखंड में कई बदलाव कर सकती है। कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों को एक साथ काम करने का टास्क दिया गया है और कांग्रेस आलाकमान ने बदलाव के संकेत भी दिए है।








