मृतक के आश्रित को 50लाख का मुआवजा और आश्रित को नौकरी देने की मांग
रांची। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री के गृह जिले साहिबगंज में लगातार घट रही घटनाओं और पुलिस की बर्बरता को लेकर सरकार पर कड़ा व जोरदार हमला बोला है।
श्री मरांडी ने प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में कहा है कि जिस क्षेत्र से मुख्यमंत्री आते हों, जो सीएम का गृह जिला हो वहां तो कानून-व्यवस्था और शांति व्यवस्था दुरुस्त रहने की मिसाल होनी चाहिए परंतु झारखंड में तो उल्टी गंगा बह रही है। जब मुख्यमंत्री के गृह जिले में ऐसी अराजकता और पुलिसिया बर्बरता हो तो प्रदेश के शेष हिस्सों की स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। साहेबगंज जिले के तालझारी थाने में पुलिस पिटाई से देबू तुरी की मौत और गंभीर रूप से घायल जॉन हेंब्रम का मामला, कोई पहली घटना नहीं है बल्कि इस जिले में आपराधिक घटनाओं और पुलिस बर्बरता की एक लंबी श्रृंखला है। पिछले दिनों आदिवासी पुलिस अधिकारी रूपा तिर्की को उसी साहिबगंज जिले के थाने में हत्या करके टांग दिया जाता है। उसी जिले के रांगा थाने में एक आदिवासी बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद थानेदार द्वारा पीड़िता के माता पिता को थाना से दुत्कार कर भगा दिया जाता है और कहा जाता है कि बच्ची को बाहर जाकर कहीं दफना दो। फिर मामला सार्वजनिक होता है, हम सबों तक मामला आता है। चौतरफा दबाव पुलिस पर बनता है। तब कब्र से निकालकर उस बच्ची का पोस्टमार्टम किया जाता है। यही नहीं, बरहेट थाना में ही एक तत्कालीन थानेदार द्वारा एक महिला के साथ बाल पकड़ कर सरेआम पिटाई का वीडियो आज भी लोगों के जेहन में है। पुलिस की बर्बरता का ऐसा उदाहरण देश के किसी राज्य में देखने को नहीं मिलेगा। सारी चीजों को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि सीएम के संरक्षण में ही साहिबगंज में लगातार इस तरह की घटना और पुलिस की बर्बरता को अंजाम दिया जा रहा है।
श्री मरांडी ने कहा कि देबू तुरी की हत्या मामले को लेकर भाजपा के प्रतिनिधिमंडल के रूप में हमने, अमर बाउरी जी, अनंत ओझा जी ने जो जमीनी हकीकत देखा, परिजनों के द्वारा जो आपबीती सुनी वह रौंगटे खड़े करने वाला है। साथ ही पुलिस के द्वारा अमानवीयता की प्रकाष्ठा भी। किसी अपराधी को भी पुलिस जब पकड़ती है तो उसे 24 घंटे से अधिक थाने में नहीं रख सकती है परंतु पुलिस में देबू तुरी को 21 तारीख को 2रू30 बजे से लेकर 24 तारीख की रात इस बेरहमी से पिटाई की कि थाने में उसकी मौत हो जाती है। मानवता दूसरी बार यहां तार-तार फिर होती है जब मर चुके देबू की लाश को पुलिस गुपचुप तरीके से सदर अस्पताल साहिबगंज पहुंचा देती है और वहां पहुंचाकर परिजनों को बुलाकर इस घटना को दूसरा रूप देने का असफल प्रयास करती है। आश्चर्य तो इस बात का भी है कि 21 तारीख को इस थाने से महज 25 से 30 किलोमीटर की दूरी पर पतना में सीएम रुके हुए थे और 22 को लौटते हैं परंतु सीएम को अपनी इस बहादुर पुलिस की बर्बरता के कुकृत्यों की भनक तक नहीं लगती। क्या बगैर सीएम की संरक्षण के उनके गृह जिले में पुलिस का इस प्रकार का बर्बर चेहरा संभव हो सकता है क्या ?
श्री मरांडी ने कहा कि सस्पेंशन कोई सजा नहीं होती है। थाने में पदस्थापित अधिकारियों पर 302 के तहत हत्या का मुकदमा दर्ज कर उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाए। साथ ही देबू के परिवार को 50 लाख मुआवजा और एक आश्रित को सरकारी नौकरी की मांग हमारी पार्टी करती है। जब पुलिस अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी तब राज्य में एक मैसेज जाएगा और पुलिस इस तरह की बर्बरता से बाज जाएगी।