रिम्स निदेशक की अचानक बर्खास्तगी को लेकर राज्य की सियासत गरमा गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इसे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला कदम बताया है और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सीबीआई जांच की अनुशंसा करने की मांग की है।
मरांडी ने कहा कि रिम्स निदेशक राजकुमार, जो दलित समुदाय से आते हैं, को बिना कारण पूछे और पक्ष रखने का मौका दिए बगैर हटाना निंदनीय है। उन्होंने आरोप लगाया कि निदेशक पर हेल्थमैप और मेडाल कंपनियों को अनुचित भुगतान करने का दबाव बनाया गया, जबकि इस पर एजी की ऑडिट में आपत्ति जताई गई थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के ठेके-पट्टों में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। पथ निर्माण, भवन निर्माण, ग्रामीण विकास और पेयजल जैसे विभागों में सचिवों के मौखिक निर्देशों पर काम आवंटन और भुगतान किया जाता है, जिससे भ्रष्टाचार की मोटी कमाई “ऊपर” तक जाती है।
मरांडी ने कहा कि जो अधिकारी इस गोरखधंधे का विरोध करते हैं, उन्हें रिम्स निदेशक की तरह बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए।
बीजेपी के पूर्व विधायक अमर कुमार बाउरी ने आरोप लगाया कि रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार को बिना पूर्व सूचना, कारण और किसी जांच के पद से हटाया जाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सरकार ईमानदार अधिकारियों को संस्थागत भ्रष्टाचार के खिलाफ काम नहीं करने देना चाहती। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. राजकुमार के खिलाफ आज तक किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है और उनके पिछले 14 महीने के कार्यकाल को ईमानदारी व दक्षता का उदाहरण माना जाता रहा है।