रांचीः झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता के सेवा काल को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच चल रहे विवाद में नया मोड़ आ गया है। अब झारखंड के प्रधान महालेखाकार(PAG) कार्यालय ने अनुराग गुप्ता को 30 अप्रैल से सेवानिवृत मानते हुए एक मई से उनकी सैलरी शून्य कर दी है। एजी ऑफिस ने पे-शून्य करने की जानकारी डीजीपी अनुराग गुप्ता और प्रोजेक्ट बिल्डिंग ट्रेजरी को भी भेज दिया है।
Bihar में रह रही पाकिस्तान की 28 महिलाएं पुलिस की निगरानी में, वीजा के लिए फिर से देना होगा आवेदन
पे-स्लीप शून्य होने से 30 अप्रैल के बाद से डीजीपी का वेतन ट्रेजरी से मिलना मुश्किल लग रहा है। राज्य सरकार ने पहली बार 26 अप्रैल 2024 को डीजीपी अजय कुमार सिंह को हटाकर अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बनाया था। इसके बाद झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने प्रभारी डीजीपी अनुराग गुप्ता को हटाने का आदेश दिया था। 10 अक्टूबर 2024 को अनुराग गुप्ता को पद से हटा दिया गया था। इसके बाद अजय कुमार सिंह को फिर से डीजीपी बनाया गया। चुनाव खत्म होने के बाद 28 नवंबर को अजय कुमार सिंह को एक बार फिर से हटाकर अनुराग गुप्ता को डीजीपी का प्रभार दे दिया गया। इसके बाद 8 जनवरी को झारखंड सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए नई नियमावली बनाई। हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया। कमेटी में मुख्य सचिव, गृह सचिव, पूर्व डीजीपी व अन्य को सदस्य बनाया गया। कमेटी की अनुशंसा पर 3 फरवरी 2025 को अनुराग गुप्ता को फिर डीजीपी बनाया गया।
800 करोड़ के फर्जी GST घोटाला में जमशेदपुर का कारोबारी विक्की गिरफ्तार, ED ने 9 ठिकानों पर की थी छापेमारी
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 22 अप्रैल 2025 को राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखा और अनुराग गुप्ता को सेवानिवृति तिथि 30 अप्रैल मानते हुए उन्हे डीजीपी पद से रिटायर करने का निर्देश जारी कर दिया। लेकिन राज्य सरकार ने नियमों और प्रावधानों का हवाला देते हुए अनुराग गुप्ता को डीजीपी बनाए रखा। इस संबंध में राज्य के गृह विभाग ने केंद्र को पत्र भी लिखा। दो दिन बाद केंद्र ने राज्य सरकार के जवाब को खारिज कर दिया। अनुराग गुप्ता को डीजीपी बनाए रखने के फैसले को गलत करार दिया। केंद्र ने कहा-जिस नियम के तहत उन्हे डीजीपी बनाए रखा गया है, वह अवैध है।