गुमला: बिशनपुर प्रखंड के सेरका बरटोली में धर्ममकुड़िया के 14 वां स्थापना वार्षिक उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसमें मुख्य रूप से लोहरदगा सांसद सुखदेव भगत,उड़ीसा के धर्मगुरु मणिलाल केरकेट्टा उपस्थित थे । सांसद के सेरका बरटोली पहुंचने पर आयोजन समिति के द्वारा उनका पारंपरिक ढंग से स्वागत किया गया ।सांसद सबसे पहले धर्म कंडो में पूजा किये तत्पश्चात आदिवासी समाज के अगुआ रहे स्वर्गीय डॉ प्रवीण उरांव ,स्वर्गीय डा करमा उरांव ,स्वर्गीय जयपाल उरांव, स्वर्गीय वीरेंद्र भगत, स्वर्गीय बिरसा उरांव के चित्रों पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किए। मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सांसद सुखदेव भगत ने कहा कि आदिवासी होने का हम सबों को गर्व करना चाहिए। आदिवासी समाज प्रकृति के पूजक और सीधे-साधे होते हैं। उनके मन में कोई छल कपट नहीं होता है। हमारा समाज विश्व का सबसे अच्छा समाज है। पूर्वजों से मिले विरासत को हमें आगे बढ़ाना है। हमारी जो रीति रिवाज परंपरा है उसे और मजबूत करने की आवश्यकता है। सुखदेव भगत ने कहा कि सभी धर्मो का अपना-अपना धार्मिक पहचान है। हमारे धर्म के पहचान को मिटाया जा रहा है ।चुनाव से पूर्व मैंने कहा था कि अगर मैं चुनाव जीतता हूं तो संसद में मेरा पहला प्रश्न जनगणना कॉलम में सरना धर्म कोड़ लागू करने का होगा और मैंने यह किया।
मैं सरना मां के नाम से शपथ भी लिया ।जब तक केंद्र सरकार सरना धर्म कोड को लागू नहीं करती है तब तक हम सबों को एकजुट होकर आंदोलित रहना होगा । समाज को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है तथा दारु-हाड़ी को कम करने की आवश्यकता है। हम सबों में जागृति की कमी होने के कारण आदिवासी सब प्लान का पैसा जो इस क्षेत्र में आता है उसका लाभ नहीं ले पाते हैं ।इसलिए हम सबों को सरकार का जो नियम- कानून है उसे भी जानने की आवश्यकता है। सांसद ने आयोजन समिति का आभार प्रकट करते हुए आदिवासी समाज की उन्नति के लिए एक जुट होने का आह्वान किये।उड़ीसा के धर्मगुरु मणिलाल केरकेट्टा ने कहा कि झारखंड में सरना समाज काफी जागृत है यहां से प्रेरणा लेकर उड़ीसा में भी समाज को जागृत करने का काम कर रहे हैं ।समाज उन्नति के लिए हम लोगों को संगठित होना होगा तथा शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में आयोजन समिति के अध्यक्ष संजय उरांव,प्रखंड कांग्रेस अध्यक्ष राजू उरांव,मुखिया रामप्रसाद बड़ाईक, शीला उरांव, आलोक कुमार साहू ,रवि रोशन बेक, मोती चौबे सहित उड़ीसा ,छत्तीसगढ़ एवं झारखंड के अनेक स्थानों से आए समाज के अगुवा उपस्थित थे।