रांचीः हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष बन गए। पिता दिशोम गुरु से उत्तराधिकार में उन्हें एक ऐसी पार्टी की कमान हासिल हुई जिसने अलग झारखंड राज्य के लिए ना सिर्फ संघर्ष किया बल्कि कुर्बानियां भी दीं । विनोद बिहारी महतो, निर्मल महतो, शिबू सोरेन से होते हुए हेमंत सोरेन तक के इस सफर में सबसे खास बात ये रही है कि चारों अध्यक्षों को जेल जाना पड़ा । जी हां । इसे संयोग ही कहेंगे की झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष की कुर्सी पर जो जो रहा उसे कभी ना कभी जेल जाना पड़ा । या तो अध्यक्ष बनने के बाद या अध्यक्ष बनने से पहले ।
विनोद बिहारी महतो पहले अध्यक्ष
धनबाद में हुए पहले महाधिवेशन में विनोद बिहारी महतो को अध्यक्ष चुना गया । विनोद बिहारी महतो बने थे झारखंड मुक्ति मोर्चा के पहले अध्यक्ष। पेशे से वकील और झारखंड निर्माण में अगुआ नेताओं में शामिल विनोद बिहारी महतो के खिलाफ बिहार सरकार ने मुकदमा दर्ज कर 11 मार्च 1974 को गिरफ्तार कर लिया था । विनोद बाबू को गिरिडीह जेल में रखा गया था । तब शिबू सोरेन ने हजारों की संख्या में विरोध प्रदर्शन शुरु किया और नारा दिया “जेल का ताला टूटेगा- विनोद बाबू छूटेगा” । बिहार सरकार ने गिरीडीह जेल से विनोद बाबू को भागलपुर भेज दिया। बाद में बहुत दवाब पड़ने पर सरकार को झुकना पड़ा और जेल से रिहा कर दिए गए ।
जेएमएम अध्यक्ष निर्मल महतो भी गए थे जेल
विनोद बिहारी महतो के बाद जेएएमए की कमान निर्मल महतो के हाथों आई। 6 अप्रैल 1984 को निर्मल महतो को बोकारो में हुए केंद्रीय समिति की बैठक में निर्मल महतो को सर्वसम्मित से अध्यक्ष चुन लिया गया। 26, 27,28 अप्रैल 1986 रांची में हुए द्वितीय केंद्रीय महाधिवेशन में निर्मल महतो को फिर से पार्टी का अध्यक्ष चुना गया । निर्मल महतो को क्राइम कंट्रोल एक्ट के तहत बिहार सरकार ने बंद रखा । इसके बाद 8 मार्च 1987 राखी के दिन निर्मल महतो जब जमशेदपुर में चमरिया गेस्ट हाउस से बाहर निकल रहे थे तभी उन पर फायरिंग हुई और हत्या कर दी गई।

1987 में शिबू सोरेन बने अध्यक्ष
शहीद निर्मल महतो की हत्या के बाद शिबू सोरेन पार्टी के अध्यक्ष बने और झारखंड का आंदोलन और तेज किया । उनके कई साथी इस दौरान शहीद भी हुए। इस दौरान शिबू सोरेन गिरफ्तार भी हुए । सरकार ने उनके खिलाफ कई साजिशें की लेकिन शिबू सोरेन का असर झारखंडियों पर इतना पड़ चुका था कि हर बार सरकार को झुकना पड़ा । 1987 से 2025 तक शिबू सोरेन जेएमएम के अध्यक्ष पर रहे । अलग राज्य लिया । चंद महीनों के लिए मुख्यमंत्री भी बने लेकिन खराब सेहत की वजह से अब सक्रिय राजनीति से दूर ही रहते हैं ।
हेमंत सोरेन का युग हुआ शुरु
हेमंत सोरेन के हाथों में अब जेएमएम की कमान है । उन्होंने अपने नेतृत्व में पार्टी को झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में चौतीस सीटें जीता कर दी । वो भी तब जब उन्हें जेल जाना पड़ा । प्रवर्तन निदेशालय के झूठे केस में लगभग पांच महीने हेमंत सोरेन जेल में रहे और उन्होंने इस्तीफा देकर चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया । बाद में चंपाई सोरेन ने पार्टी छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए थे । हेमंत सोरेन को विरासत में एक ऐसी पार्टी मिली है जिसने झारखंड निर्माण मेें ना सिर्फ हिस्सा लिया बल्कि