रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण में 38 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग शुरु हो चुकी है। दूसरे चरण में एक मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों समेत दिग्गज नेताओं की सीट पर फैसला होगा । माना जा रहा है कि इन 38 सीटें से झारखंड में सत्ता की तस्वीर तय होगी । किसकी सरकार बनेगी इसका फैसला संताल की सीटों से ही होगा । मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी की क़िस्मत का फैसला तो होगा कि साथ ही तय होगा कि जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम का राजनीतिक भविष्य कैसा होगा ।
38 सीटों पर मतदान शुरु
20 नवंबर को संताल परगना और कोयला की 38 सीटों पर मतदान है । 28 सीटों पर बीजेपी गठबंधन और जेएमएम गठबंधन के बीच सीधी लड़ाई है । मना जा रहा है कि 10 सीटों पर त्रिकोणीय फाइट है । हेमंत सोरेन, बाबूलाल मरांडी, लोबिन हेम्ब्रम, हेमलाल मुर्मू, स्टीफन मरांडी, रबिन्द्रनाथ महतो और सीता सोरेन शामिल है। इसके अलावा बसंत सोरेन, लुईस मरांडी, बादल, हफीजुल हसन, रणधीर सिंह, प्रदीप यादव, दीपिका पांडेय सिंह, कल्पना सोरेन, अमर बाउरी, पूर्णिमा नीरज सिंह और सुदेश महतो का नाम शामिल हैं।
धनबाद के बीजेपी के राज सिन्हा के सामने कांग्रेस के अजय दुबे
धनबाद विधानसभा सीट से बीजेपी के राज सिन्हा के सामने इस बार कांग्रेस के अजय दुबे मैदान में हैं। वर्ष 2014 और 2019 में राज सिन्हा ने धनबाद सीट से जीत हासिल कीं। अब वो जीत की हैट्रिक बनाने के लिए चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस ने इस बार अजय दुबे को उम्मीदवार बनाया है। अजय दुबे इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में मैदान में उतर चुके हैं और वो दूसरे स्थान पर रहे थे।
झरिया में पूर्णिमा और रागिनी के बीच टक्कर
झरिया में वर्ष 2019 की तरह इस बार भी देवरानी और जेठानी के बीच मुकाबला है। कांग्रेस ने विधायक पूर्णिमा सिंह को उम्मीदवार बनाया है। जबकि बीजेपी टिकट पर रागिनी सिंह चुनाव मैदान में हैं। झरिया सीट पर पिछले पांच दशक से मजदूर नेता सूर्यदेव सिंह के परिवार का कब्जा रहा है। अब इस परिवार में बंटवारा हो चुका है और परिवार की देवरानी और जेठानी आमने-सामने हैं। वहीं जेएलकेएम के रुस्तम अंसारी भी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं।
टुंडी में जेएमएम के मथुरा प्रसाद कर बीजेपी और जेएलकेएम उम्मीदवार से टक्कर
टुंडी विधानसभा में जेएमएम के मथुरा प्रसाद महतो को बीजेपी के विकास महतो और जेएलकेएम के मोतीलाल महतो कड़ी टक्कर दे रहे हैं। मथुरा प्रसाद महतो वर्ष 2009, 2014 और 2019 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं। लोकसभा चुनाव में भी मथुरा प्रसाद महतो गिरिडीह के अन्य क्षेत्रों में पिछड़ गए थे, लेकिन उन्होंने टुंडी में बढ़त हासिल की थी।
बाघमारा में जलेश्वर महतो को शत्रुघ्न महतो से चुनौती
बाघमारा विधानसभा सीट से 2014 और 2019 में ढुल्लू महतो ने जीत हासिल की। लेकिन अब वो बीजेपी टिकट पर धनबाद से सांसद बन चुके हैं। ऐसे में बीजेपी ने ढुल्लू महतो के बड़े भाई शत्रुघ्न महतो को बाघमारा से उम्मीदवार बनाया है। जबकि कांग्रेस की ओर से फिर से जलेश्वर महतो मैदान में है। वर्ष 2019 के चुनाव में जलेश्वर महतो करीब 800 से वोटांे से चुनाव हार गए थे। इस बार जेएलकेएल उम्मीदवार भी यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं।
सिल्ली में सुदेश महतो की दोहरी टक्कर
सिल्ली विधानसभा सीट से आजसू पार्टी के सुदेश महतो त्र्रिकोणीय मुकाबले में फंस गए हैं। सिल्ली के चार बार विधायक रह चुके सुदेश महतो को यहां जेएमएम के अमित महतो और जेएलकेएम के अमित महतो कड़ी चुनौती दे रहे हैं। वहीं लोकसभा चुनाव 2024 में दमदार उपस्थिति दर्ज कराने वाले जेएलकेएम प्रत्याशी देवेंद्र नाथ महतो ने मैदान में उतर कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
राजमहल में किसका राज ?
राजमहल विधानसभा सीट पर बीजेपी के अनंत ओझा और जेएमएम के एमटी राजा के बीच मुकाबला तय है। वर्ष 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में अनंत ओझा ने राजमहल सीट से जीत हासिल की। इस पर वो हैट्रिक लगाने के लिए फिर से चुनाव मैदान में हैं। पिछले दो चुनाव में एमटी राजा ने अनंत ओझा को कड़ी टक्कर दी, इस बार जेएमएम टिकट पर एमटी राजा मैदान में हैं।
बोरियो में लोबिन का क्या होगा ?
बोरियो में इस बार बीजेपी के लोबिन हेम्ब्रम और जेएमएम के धनंजय सोरेन के बीच मुकाबला है। लोबिन हेम्ब्रम बोरियो सीट से पांच विधायक रह चुके हैं। चार बार वो जेएमएम टिकट पर चुनाव लड़े, जबकि एक बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विजयी रहे। पिछले चुनाव में भी लोबिन हेम्ब्रम जेएमएम टिकट पर जीत हासिल की, लेकिन लोकसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ने पर उन्हें बोरियो क्षेत्र से सिर्फ 14 हजार वोट मिले। वहीं जेएलकेएम प्रत्याशी सूर्य नारायण हांसदा भी चुनाव मैदान में हैं।
बरहेट से हेमंत की सीट सुरक्षित ?
बरहेट विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार तीसरी बार जीत हासिल करने के लिए चुनाव मैदान में हैं। हेमंत सोरेन ने इस सीट से वर्ष 2014 और 2019 में जीत हासिल की। बीजेपी ने इस बार गमालियेल हेम्ब्रम को चुनाव मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में भी गमालियेल आजसू पार्टी टिकट पर चुनाव मैदान में थे, लेकिन उन्हें करीब 2500 वोट ही प्राप्त हुए थे। शिक्षक की नौकरी छोड़ कर राजनीति में आए गमालियेल को बीजेपी के परंपरागत वोटरों से समर्थन मिलने की उम्मीद है। वहीं बरहेट क्षेत्र पिछले चार दशक से अधिक समय से जेएमएम का गढ़ रहा है।
लिट्टीपाड़ा में हेमलाल मुर्मू को बाबूधन मुर्मू से मिल रही चुनौती
लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट से जेएमएम ने इस बार हेमलाल मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है। वहीं बीजेपी ने बाबूधन मुर्मू को मैदान में उतारा है। वर्ष 2019 के चुनाव में इस सीट से जेएमएम के दिनेश विलियम मरांडी ने जीत हासिल की थी। लेकिन जेएमएम से टिकट कटने के बाद दिनेश विलियम मरांडी अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। दिनेश विलियम मरांडी के पिता साइमन मरांडी और मां सुशीला हांसदा भी इस सीट से 7 बार चुनाव जीत चुकी हैं।
आमलगीर की पत्नी बचा पाएगी विरासत ?
पाकुड़ विधानसभा सीट का मुकाबला भी इस बार दिलचस्प हो गया है। वर्ष 2019 के चुनाव में पाकुड़ से कांग्रेस के आलमगीर आलम ने जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार के चुनाव में आलमगीर आलम चुनाव मैदान में नहीं हैं। ईडी ने उन्हें मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया है और पिछले कई महीनों से जेल में बंद है। ऐसे में कांग्रेस ने उनकी पत्नी निशात आलम को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि एनडीए की ओर से इस सीट से आजसू पार्टी के अजहर इस्लाम चुनाव मैदान में है। जबकि पूर्व विधायक अकील अख्तर सपा प्रत्याशी के रूप में मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में जुटे हैं।
महेशपुर में स्टीफन या नवीन ?
महेशपुर विधानसभा सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी चुनाव मैदान में हैं। वर्ष 2019 के चुनाव में भी स्टीफन मरांडी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। इस बार बीजेपी ने नवीन हेंब्रम को चुनाव मैदान में उतारा है। महेशपुर सीट परंपरागत रूप से जेएमएम का किला रहा है, लेकिन इस सीट से बीजेपी को भी एक बार जीत चुकी हैं।
शिकारीपाड़ा में जनता किसका करेगी शिकार ?
शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट से जेएमएम ने इस बार सांसद नलिन सोरेन के पुत्र आलोक सोरेन को मैदान में उतारा है। जबकि उनके सामने बीजेपी के पारितोष सोरेन मैदान में है। शिकारीपाड़ा विधानसभा सीट से जेएमएम के नलिन सोरेन सात बार चुनाव जीत चुके हैं, इस बार लोकसभा चुनाव में नलिन सोरेन को जीत मिली, जिसके बाद उन्होंने अपने पुत्र आलोक को चुनाव मैदान में उतारा हैं।
नाला में दाँव पर स्पीकर की सीट
नाला विधानसभा में जेएमएम के रबिन्द्रनाथ महतो को बीजेपी के माधव चंद्र महतो चुनौती दे रहे हैं। रबिन्द्रनाथ महतो ने वर्ष 2014 और 2019 में लगातार दो बार जीत हासिल की। इससे पहले भी वो इस सीट से एक बार चुनाव जीत चुके है। 2019 में विजयी होने के बाद उन्हें स्पीकर बनाया गया। इस चुनाव में बीजेपी के माधवचंद्र महतो से उन्हें कड़ी चुनौती मिल रही है।
जामताड़ा में सीता और इरफ़ान का मुकाबला
जामताड़ा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के इरफान अंसारी और बीजेपी की सीता सोरेन आमने-सामने हैं। वर्ष 2014 और 2019 के चुनाव में इरफान अंसारी ने इस सीट पर जीत हासिल की। उनके पिता फुरकान अंसारी भी जामताड़ा के विधायक रह चुके हैं। जबकि जेएमएम छोड़ने के बाद सीता सोरेन इस बार जामा छोड़ कर बीजेपी टिकट पर जामताड़ा से चुनाव मैदान में हैं।
जामा से लुईस देगी बीजेपी को झटका?
जामा विधानसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होगा। इस सीट से तीन बार की विधायक रहीं सीता सोरेन की जगह जेएमएम ने अब डॉ. लुईस मरांडी को उम्मीदवार बनाया है। लुईस मरांडी विधानसभा चुनाव में दुमका सीट से टिकट नहीं मिलने पर बीजेपी छोड़ कर जेएमएम में शामिल हुईं। वहीं बीजेपी ने एक बार फिर से सुरेश मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है। सुरेश मुर्मू ने पिछले चुनाव में यहां सीता सोरेन को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन वो करीब 2200 वोटों से चुनाव हार गए थे।
जरमुंडी में बादल को कड़ी टक्कर
जरमुंडी में कांग्रेस प्रत्याशी बादल और बीजेपी के देवेंद्र कुंवर की प्रतिष्ठा दांव पर है। वर्ष 2014 और 2019 के चुनाव में बादल ने यहां से जीत हासिल की थी। वो करीब साढ़े चार तक मंत्री भी रहे, लेकिन चुनाव के ठीक पहले उनके स्थान पर कांग्रेस की दीपिका पांडेय को मंत्री बनाया गया। वहीं देवेंद्र कुंवर भी इस सीट से दो बार चुनाव जीत चुके हैं। दोनों प्रतिद्वंदी इस बार अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं।
मधुपुर में मंत्री हफीजुल हसन का बीजेपी के गंगा नारायण
मधुपुर विधानसभा सीट से जेएमएम प्रत्याशी और मंत्री हफीजुल हसन का इस बार बीजेपी के गंगा नारायण सिंह से मुकाबला है। 2022 के उपचुनाव में भी हफीजुल को गंगा नारायण ने कड़ी चुनौती दी। वहीं इस सीट से हफीजुल हसन के पिता हाजी हुसैन अंसारी भी कई बार विधायक रह चुके हैं।
सारठ में बीजेपी के रणधीर सिंह या जेएमएम के चुन्ना सिंह
सारठ विधानसभा सीट पर जेएमएम ने इस बार उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह को उम्मीदवार बनाया है। चुन्ना सिंह विभिन्न दलों के टिकट पर और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अब तक चार बार जीत हासिल कर चुके हैं। जबकि रणधीर सिंह को 2014 और 2019 में जीत मिली। एक बार फिर दोनों पुराने प्रतिद्वंदी चुनाव मैदान में हैं।
देवघर में आरजेडी के सुरेश पासवान और बीजेपी के नारायण दास बीच टक्कर
देवघर विधानसभा सीट पर इस बार आरजेडी के सुरेश पासवान और बीजेपी के नारायण दास के बीच मुकाबला है। नारायण दास ने बीजेपी उम्मीदवार के रूप में इस सीट से 2014 और 2019 में जीत हासिल की। वहीं सुरेश पासवान भी इस सीट से कई बार चुनाव जीत चुके हैं। पिछले चुनाव में भी वो कम वोटों के अंतर से पराजित हुए थे। इस बार भी दोनों उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला है।
पोड़ैयाहाट में प्रदीप यादव और देवेंद्र नाथ सिंह में मुकाबला
पोड़ैयाहाट विधानसभा सीट से इस बार कांग्रेस के प्रदीप यादव चुनाव मैदान में है। प्रदीप यादव इस सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं और पिछला दो चुनाव उन्होंने झाविमो टिकट पर जीता। लेकिन इस बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में प्रदीप यादव छठी बार जीत हासिल करने के लिए मैदान में हैं। उनके खिलाफ बीजेपी ने देवेंद्र नाथ सिंह को उम्मीदवार बनाया है। देवेंद्र नाथ सिंह का भी क्षेत्र में स्थानीय मतदाताओं पर मजबूत पकड़ है।
गोड्डा में अमित मंडल और संजय यादव के बीच टक्कर
गोड्डा में बीजेपी के अमित मंडल और आरजेडी के संजय यादव के बीच एक बार फिर कड़ा मुकाबला है। अमित मंडल ने 2014 और 2019 में इस सीट से जीत हासिल की। वहीं उनके पिता भी इस सीट से दो बार विधायक चुके हैं। जबकि संजय यादव भी दो बार इस सीट से विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। ऐसे में दोनों के बीच इस चुनाव में कड़ी टक्कर है।
महागामा में कांग्रेस की दीपिका पांडेय को बीजेपी के अशोक भगत
महागामा विधानसभा सीट से एक बार फिर कांग्रेस की दीपिका पांडेय सिंह और बीजेपी के अशोक भगत के बीच मुकाबला है। वर्ष 2019 के चुनाव में दीपिका पांडेय सिंह ने जीत हासिल की, लेकिन इससे पहले दो बार अशोक भगत भी महागामा के विधायक रह चुके हैं। एक बार फिर से दोनों उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला है।
रामगढ़ में सुनीता देवी और ममता देवी में मुकाबला
रामगढ़ विधानसभा सीट पर आजसू पार्टी की सुनीता देवी फिर से चुनाव में जीत हासिल करने की कोशिश मंे हैं। वर्ष 2019 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस की ममता देवी विजयी रहीं, लेकिन एक मामले में अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया और दो साल की सजा सुनाई, जिसके कारण उनकी सदस्यता समाप्त हो गई। उपचुनाव में आजसू पार्टी प्रत्याशी और सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता देवी विजयी रहीं। इस बार सुनीता देवी को कांग्रेस की ममता देवी फिर से चुनौती दे रही हैं।
मांडू में जेपी पटेल को आजसू के चुनौती
मांडू विधानसभा सीट पर कांग्रेस के जेपी पटेल को इस बार आजसू पार्टी के तिवारी महतो टक्कर दे रहे हैं। वर्ष 2019 के चुनाव में जेपी पटेल ने बीजेपी टिकट पर जीत हासिल की थी। लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले वो कांग्रेस में शामिल हो गए और हजारीबाग से चुनाव लड़े। इससे पहले 2014 के चुनाव में जेपी पटेल ने जेएमएम टिकट पर मांडू से जीत हासिल की। मांडू में इस बार के चुनाव में जेएलकेएम के परमेश्वर कुमार को भी कांग्रेस और आजसू को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
धनवार में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की प्रतिष्ठा दांव पर
धनवार विधानसभा सीट पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की प्रतिष्ठा दांव पर है। वर्ष 2019 के चुनाव में बाबूलाल मरांडी ने झाविमो टिकट पर जीत हासिल की। लेकिन इस बार वो फिर से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में है। धनवार में जेएमएम और माले के बीच दोस्ताना संघर्ष है। जेएमएम ने यहां से पूर्व विधायक निजामुद्दीन अंसारी को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि माले के पूर्व विधायक राजकुमार यादव भी चुनाव मैदान में हैं। जबकि निर्दलीय निरंजन राय भी मुकाबले को बहुकोणीय बनाने के प्रयास में जुटे हैं।
बगोदर में माले के विनोद कुमार सिंह और बीजेपी के नागेंद्र महतो से मुकाबला
बगोदर विधानसभा सीट से भाकपा-माले उम्मीदवार के रूप में विनोद कुमार सिंह एक बार फिर से चुनाव मैदान में है। विनोद कुमार सिंह ने 2005, 2009 और 2019 में इस सीट से जीत हासिल की। लेकिन 2014 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बार उन्हें बीजेपी के नागेंद्र महतो से चुनौती मिल रही है। वर्ष 2014 के चुनाव में झाविमो टिकट पर नागेंद्र महतो यहां से चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि इस बार बगोदर में विनोद कुमार सिंह को कांग्रेस-जेएमएम और आरजेडी का भी समर्थन प्राप्त है।
जमुआ में बीजेपी की मंजू देवी और जेएमएम के केदार हाजरा के बीच टक्कर
जमुआ में मंजू देवी और केदार हाजरा एक बार फिर आमने-सामने हैं। वर्ष 2019 के चुनाव में केदार हाजरा ने बीजेपी उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। वहीं कांग्रेस की मंजू देवी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी। लेकिन ऐन चुनाव के मौके पर मंजू देवी कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गई। जबकि टिकट नहीं मिलने पर केदार हाजरा जेएमएम में शामिल हो गए। अब जेएमएम ने केदार हाजरा और बीजेपी ने मंजू देवी को उम्मीदवार बनाया है।
गांडेय में कल्पना सोरेन बचा पाएगी सीट ?
गांडेय विधानसभा सीट जेएमएम का गढ़ माना जाता है। इस वर्ष उपचुनाव में इस सीट से जेएमएम की स्टार प्रचारक कल्पना सोरेन ने जीत हासिल की। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन फिर से चुनाव मैदान में हैं। वहीं बीजेपी ने यहां इस बार मुनिया देवी को चुनाव मैदान में उतारा हैं। मुनिया देवी गिरिडीह जिला परिषद की अध्यक्ष रह चुकी हैं और इलाके में उनकी मजबूत पकड़ रही है। पिछले वर्ष मुनिया देवी बीजेपी में शामिल हुईं थीं।
गिरिडीह में जेएमएम के सुदिव्य कुमार और बीजेपी के निर्भय शाहबादी
गिरिडीह में एक बार फिर से जेएमएम के सुदिव्य कुमार सोनू और बीजेपी के निर्भय शाहबादी के बीच कड़ा मुकाबला है। वर्ष 2019 में सुदिव्य कुमार ने निर्भय शाहबादी को मात दी थी, जबकि निर्भय शाहबादी भी दो बार यहां से चुनाव जीत चुके है। इस बार के चुनाव में कई अन्य प्रत्याशी भी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटे हैं।
डुमरी में बेबी देवी, आजसू पार्टी की यशोदा देवी और जेएलकेएम के जयराम की टक्कर
डुमरी में जेएमएम प्रत्याशी और मंत्री बेबी देवी इस बार कड़े मुकाबले में फंसी दिख रहीं हैं। एक ओर उन्हंे आजसू पार्टी की यशोदा देवी टक्कर दे रही हैं, जबकि जेएलकेएम अध्यक्ष जयरा महतो भी जीत के लिए प्रयासरत है। वर्ष 2023 के उपचुनाव में बेबी देवी ने यहां से जीत हासिल की थी। इससे पहले जेएमएम के वरिष्ठ नेता रहे जगरनाथ महतो चार बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं।
गोमिया में आजसू पार्टी, जेएमएम और जेएलकेएम के बीच मुकाबला
गोमिया विधानसभा सीट पर आजसू पार्टी विधायक लंबोदर महतो को जेएमएम के योगेंद्र महतो और जेएलकेएम की पूजा कुमारी से कड़ी टक्कर मिल रही है। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान इस सीट पर जेएलकेएम प्रत्याशी को बढ़त मिली थी, ऐसे में जेएलकेएम समर्थकों में उत्साह हैं। जबकि योगेंद्र महतो और उनकी पत्नी भी यहां से विधायक रह चुकी हैं।
बेरमो में कांग्रेस के जयमंगल का बीजेपी के रवींद्र पांडेय, जयराम बिगाड़ देंगे खेल
बेरमो विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कुमार जयमंगल सिंह का बीजेपी के रवींद्र पांडेय और जेएलकेएम अध्यक्ष जयराम महतो से मुकाबला है। रवींद्र पांडेय गिरिडीह से तीन बार सांसद रह चुके हैं,ऐसे में क्षेत्र में उनके समर्थकों की लंबी लिस्ट है। जबकि लोकसभा चुनाव में बेरमो में जेएलकेएम ने बढ़त हासिल की थी। इसलिए जयराम महतो खुद यहां से चुनाव मैदान में उतरे हैं। इन तीनों उम्मीदवारों के कारण मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
बोकारो में कांग्रेस की श्वेता सिंह और बीजेपी बिरंची नारायण के बीच टक्कर
बोकारो में कांग्रेस की श्वेता सिंह और बीजेपी के बिरंची नारायण के बीच लड़ाई है। वर्ष 2014 और 2019 के चुनाव में बिरंची नारायण ने यहां से जीत हासिल की। लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस की श्वेता सिंह ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी और करीब एक लाख वोट प्राप्त किए। श्वेता सिंह के ससुर समरेश सिंह इस सीट से कई बार विधायक रह चुके हैं।
चंदनकियारी में अमर कुमार बाउरी को जेएमएम के उमाकांत से चुनौती
चंदनकियारी विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक दल के नेता अमर कुमार बाउरी इस बार कड़े मुकाबले में फंस गए हैं। अमर बाउरी ने वर्ष 2014 और 2019 में चंदनकियारी से झाविमो और बीजेपी उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। दोनों पर उन्हें आजसू पार्टी के उमाकांत रजक ने टक्कर दी, लेकिन इस बार बीजेपी-आजसू पार्टी के बीच तालमेल होने पर उमाकांत रजक ने जेएमएम का दामन थाम लिया और जेएमएम प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। उमाकांत रजक भी 2009 में इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं।
सिंदरी में बीजेपी की तारा देवी और माले के चंद्रदेव महतो के बीच टक्कर
सिंदरी विधानसभा सीट से बीजेपी ने इस बार विधायक इंद्रजीत महतो की पत्नी तारा देवी को उम्मीदवार बनाया है। इंद्रजीत महतो पिछले कई वर्षों से बीमार चल रहे हैं और हैदराबाद के एक अस्पताल में भर्ती है। तारा देवी जिला परिषद की सदस्य रहीं हैं और क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ है। वहीं भाकपा-माले ने चंद्रदेव महतो को उम्मीदवार बनाया है। उन्हें जेएमएम-कांग्रेस और आरजेडी का समर्थन प्राप्त है।
निरसा में बीजेपी की अपर्णा सेनगुप्ता और माले के अरूप चटर्जी के बीच टक्कर
निरसा विधानसभा सीट पर इस बार फिर से बीजेपी की अपर्णा सेनगुप्ता और भाकपा-माले के अरूप चटर्जी के बीच मुकाबला है। यहां से अरूप चटर्जी पहले भी दो बार चुनाव जीत चुके हैं, जबकि उन्हें पिता भी रहे हैं। जबकि वर्ष 2019 के चुनाव में बीजेपी टिकट पर अपर्णा सेनगुप्ता ने जीत हासिल की थीं। इससे पहले अपर्णा फारवर्ड ब्लॉक उम्मीदवार के रूप में भी यहां से चुनाव जीत चुकी हैं।
खिजरी में कांग्रेस के राजेश कच्छप और बीजेपी के रामकुमार पाहन के बीच जंग
खिजरी विधानसभा सीट पर कांग्रेस के राजेश कच्छप और बीजेपी के रामकुमार पाहन के बीच सीधा मुकाबला है। वर्ष 2019 में राजेश कच्छप को यहां बड़ी जीत मिली थी। इससे पहले भी कांग्रेस के सावना लकड़ा यहां से कई बार चुनाव जीत चुके हैं। वहीं बीजेपी के रामकुमार पाहन ने भी 2014 में इस सीट से जीत हासिल की थी। एक बार फिर से वो इस सीट पर कब्जा जमाने के प्रयास में जुटे हैं।