रांची: रचना की उम्र थी 8 वर्ष और इंद्र राज कुमार महज 6 साल का था । दोनों, बारिश के मौसम में घर से निकले लेकिन वापस अपनी सांसों के साथ नहीं लौटे । जिस कुएं से खेतों की बुझनी थी प्यास और खुशहाली का देखा गया था सपना उस कुएं के बनाने वालों ने इतनी बड़ी लापरवाही बरती कि अब इस ओर कोई बच्चा नहीं आना चाहेगा । रांची के चान्हों के हुटार में लापता दो बच्चे मिले तो लेकिन तब तक सांसें बंद हो चुकीं थी ।
रचना इंद्र राज की मौत का जिम्मेदार कौन ?
झारखंड में मनरेगा, डोभा और तालाबों को लेकर सरकारेें मुहिम तो चलाती हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों में बच्चों की जिंदगी की जरा भी परवाह नहीं करती । रचना और इंद्रराज कुमार भारी बारिश के बीच जिस रास्ते से गुजर रहे थे उन्हें मालूम भी नहीं था पांव के नीचे पानी की गहराई कितनी है । वो कुएं में गिरे और गिरते ही चले चले गए । रही सही कसर कुदरत ने पूरी कर दी। इतनी बारिश हुई कि थोड़ी ही देर में कुआं पानी से भर गया । रचना और इंद्रराज ने जल समाधि ले ली ।

नहीं काम आईं दुआएं
दोनों भाई-बहन की सलामती के लिए अर्चना और इंद्र के माता-पिता ने भवानी साहू और शशिकला को जितने देवताओं के नाम याद थे सबकी मनौती मानी लेकिन किसी ने भी रहम नहीं किया । अब आंसुओं का सैलाब टूट पड़ा है । आसमान से इंद्र देवता बरस रहे हैं और इंद्र के पिता की आंखों से अपनी संतानों के खोने की दर्द बह रहा है । मां शशिकला को यकीन ही नहीं हो रहा की बेटे का नाम इंद्र रखा और इंद्र देवता के प्रकोप ने ही उसे लील लिया ।
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मनहूस मॉनसून
चान्हों और आस-पास के गांवों में मातम हैं । रचना और इंद्र गोद में खेलने वाले बच्चे थे । बारिश के मौसम और ग्रामीम परिवेश के आनंद ने फूल से दो नन्हें बच्चों को खिलने से पहले ही मुरझा दिया । अब शशिकला और भवानी साहू को जब भी मॉनसून के बादल नजर आएंगें..उनकी आंखें बरस पड़ेंगीं । रचना और इंद्रराज दोनों बच्चों का जन्म जनवरी महीने में हुआ था । रचना पैदा हुई थी दो जनवरी को और इंद्र राज का जन्म 8 जनवरी को हुआ था । नया साल , दो बच्चे..कितनी धूम-धाम से कटता होगा दोनों बच्चों का केक….क्या कुआं बनाने वाले, बननवाने वाले कभी सोच पाएंगें की उनकी जरा सी लापरवाही ने इस परिवार को कितना बड़ा दुख दिया








