भारतीय शास्त्रीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले प्रख्यात तबला वादक जाकिर हुसैन का नाम संगीत की दुनिया में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता रहा बै । पद्म भूषण और ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित जाकिर हुसैन ने अपनी असाधारण प्रतिभा और नवाचार से तबले को वैश्विक मंच पर स्थापित किया था।
जाकिर हुसैन के संगीत की विरासत
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ। वे तबला सम्राट उस्ताद अल्ला रक्खा के बेटे हैं। बचपन से ही संगीत उनके जीवन का हिस्सा रहा। महज तीन साल की उम्र में तबले की शिक्षा शुरू करने वाले जाकिर ने अपने पिता को गुरु मानते हुए तबला वादन की बारीकियां सीखी।
शास्त्रीय संगीत से पाश्चात्य संगीत तक का सफर
जाकिर हुसैन ने 12 वर्ष की उम्र में पहली बार सार्वजनिक प्रस्तुति दी और इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ पाश्चात्य संगीत में भी अपनी छाप छोड़ी। ‘शक्ति’ बैंड के साथ उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी जैज़ का अनूठा संगम प्रस्तुत किया।
उनकी कई अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं, जैसे ‘प्लानेट ड्रम्ब’ और ‘मैकलॉघलिन एंड ज़ाकिर हुसैन’, ने उन्हें एक वैश्विक कलाकार के रूप में स्थापित किया। उन्होंने विश्व के कई दिग्गज संगीतकारों के साथ प्रदर्शन कर भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई ऊंचाइयां दीं।
2002 में मिला था पद्मभूषण
जाकिर हुसैन को भारत सरकार ने 1988 में पद्म श्री और 2002 में पद्म भूषण से सम्मानित किया। उन्हें कई ग्रैमी अवार्ड भी मिले हैं। इसके अलावा, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और अन्य अंतरराष्ट्रीय सम्मान उनकी उपलब्धियों को दर्शाते हैं।
अद्वितीय शैली के धनी
जाकिर हुसैन की तबला वादन शैली में लय, गति और रचनात्मकता का अद्भुत तालमेल देखने को मिलता है। उनकी उंगलियों का जादू और ताल की गहराई श्रोताओं को सम्मोहित कर देती है। उनकी प्रस्तुतियां तकनीकी निपुणता और गहरी भावुकता का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
भारतीय संगीत के लिए योगदान
जाकिर हुसैन न केवल एक कलाकार हैं, बल्कि भारतीय संगीत के ब्रांड एंबेसडर भी हैं। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को विश्व के कोने-कोने में पहुंचाया और इसे नई पहचान दिलाई।
संगीत का एक युग
तबला वादन को नई ऊंचाईयों पर ले जाने वाले जाकिर हुसैन ने अपने संगीत से यह सिद्ध किया है कि कला की कोई सीमा नहीं होती। उनकी कहानी भारतीय संगीत के एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में सदैव जीवंत रहेगी।