रांची: लोहरदगा से एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सुखदेव भगत मैदान में है। सोमवार को उन्हे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर से मुलाकात की और चुनाव के लिए पार्टी का सिंबल हासिल किया। उन्होने पार्टी सिंबल हासिल करने के बाद कहा कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, गुलाम अहमद मीर और आलमगीर आलम को धन्यवाद देने के साथ ही विश्वास दिलाता हूं कि लोहरदगा की सीट गठबंधन के खाते में जाएगी।
लोहरदगा की सीट पर 2019 के चुनाव में बहुत कम अंतर से हारने वाले सुखदेव भगत ने इस बार जीत का दावा किया है। इस चुनाव में बीजेपी की ओर से नये उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। बीजेपी ने सुदर्शन भगत की जगह समीर उरांव को मैदान में उतारा है। ऐसे में सुखदेव भगत ने दावा किया है कि वो इस बार जीत का तौफा पार्टी के नेताओं को देंगे।
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लोहरदगा में होता है कांटे का मुकाबला
राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माने जाने वाली लोहरदगा की सीट राजधानी की राजनीति को भी प्रभावित करता है। रांची के करीब होने के साथ साथ रांची जिले का मांडर विधानसभा सीट भी इसी लोकसभा क्षेत्र में आती है। पिछले तीन चुनावों के परिणाम बताते है कि यहां पूरे राज्य में सबसे कांटे का मुकाबला होता है। 1998 के चुनाव परिणाम को छोड़ दे जिसमें जीत-हार के बीच 90 हजार से ज्यादा वोटों का अंतर रहा है, लोहरदगा में कांटे की लड़ाई रही है। 2019 में मोदी की लहर के बावजूद यहां कांग्रेस के सुखदेव भगत बीजेपी सुदर्शन भगत से 10363 वोट से चुनाव हार गए थे। इससे पहले 2014 के चुनाव की बात करे तो उस चुनाव में कांग्रेस के रामेश्वर उरांव बीजेपी के सुदर्शन भगत से 6489 वोट से चुनाव हार गये थे। वही 2009 के चुनाव में निर्दलीय चमरा लिंडा बीजेपी के सुदर्शन भगत से 8283 वोट से चुनाव हार गये थे। पिछले तीन बार के चुनाव परिणाम बता रहे है कि यहां किस तरह की चुनावी लड़ाई होती है। 2024 में किस तरह का चुनाव परिणाम आयेगा वो आगे राज्य की राजनीति भी तय करेगा।