रांची: दुमका लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार रही सीता सोरन और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के बीच दूरियां खत्म हो गई है। दुमका सीट पर हार के बाद सीता सोरेन ने प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के खिलाफ बयान देते हुए अपनी हार के लिए उनके अनदेखी को जिम्मेदार बताया था।
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शुक्रवार को बाबूलाल मरांडी से सीता सोरेन ने मुलाकात की। जिसके बाद ये संकेत साफ हो गया कि सीता सोरेन अभी बीजेपी में ही अपनी राजनीति करेंगी। लेकिन इनकी मुलाकात के बाद ये बातें साफ हो गई है कि सीता सोरेन ने प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ हथियार डाल दिया है। लोकसभा चुनाव से लेकर अभी तक इन दोनों नेताओं के बीच दूरियां देखी जा रही थी। इन दोनों के बीच जारी मनमुटाव को दूर करने में प्रदेश बीजेपी के सह प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हेमंता बिस्व सरमा की बड़ी भूमिका रही है। पिछले सप्ताह हेमंता बिस्वा सरमा ने सीता सोरेन से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी और उनको प्रदेश नेतृत्व के साथ मिलकर काम करने की सलाह दी थी। हेमंता ने उन्हे कहा था कि अगर बीजेपी में रहकर राजनीति करनी है तो उन्हे प्रदेश नेतृत्व या बीजेपी के नेताओं के खिलाफ कोई बयान नहीं देना होगा और प्रदेश अध्यक्ष से मिलकर गिले शिकवे दूर करने होंगे। हेमंता से मुलाकात के बाद ही ऐसी उम्मीदें की जा रही थी कि अब सीता सोरेन प्रदेश नेतृत्व और दुमका लोकसभा क्षेत्र से आने वाले बीजेपी नेताओं के खिलाफ कोई बयान नहीं देंगी।
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सीता सोरेन ने बाबूलाल मरांडी की मुलाकात के बाद अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर उसकी तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री प्रदेश के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी जी से शिष्टाचार मुलाकात करते हुए। सीता सोरेन ने अपनी ओर से रिश्तों की करवाहट खत्म करने की पहल की है। सीता सोरेन ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए उन्होने बाबूलाल मरांडी के दो पोस्ट को रीपोस्ट किया जो अबतक उन्होने कभी नहीं किया था। सीता ने पहली बार प्रदेश अध्यक्ष के किसी पोस्ट पर ये रिएक्शन दिया है। सीता के पहल का बाबूलाल मरांडी पर कितना असर पड़ा है ये तो आने वाले वक्त में पता चलेगा लेकिन इससे इन दोनों नेताओं के बीच करवाहट की खबरों को जरूर विराम लग गया है।