रांची: झारखंड के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में लाखों रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है। झारखंड सरकार के वित्त विभाग की जांच के बाद घोटाला को सही पाया गया। पूर्व कुलपति प्रोफेसर मुकुल नारायण देव के कार्यकाल में छात्रों के पैसे की जमकर लूट हुई। राज्य सरकार के वित्त विभाग के अंकेक्षण निदेशक ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव को ऑडिट रिपोर्ट सौंप दी है। इसके साथ ही कहा है कि खर्च किये गए रुपये की वसूली करते हुए दोषी व्यक्तियों को चिन्ह्रित करते हुए 15 मार्च तक कार्रवाई की जाए।
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वित्त विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूनिवर्सिटी में 44 लाख रुपये का घोटाला हुआ है। जांच में पाया गया कि जून 2020 से लेकर मई 2023 के बीच कुलपति कार्यालय, आवास एवं कुलपति के लिए इस्तेमाल होने वाली गाड़ी के फ्यूल पर खर्च किये गए है। जो राशि विश्वविद्यालय के छात्रों की पढ़ाई में खर्च होने थे उसे पूर्व कुलपति ने नियमानुसार नहीं खर्च करके अनियमितता बरती है। कुलपति के कंजंप्शन के लिए 8 लाख के काजू खरीदे गए थे, वो भी करोनाकाल में जब विश्वविद्यालय बंद था। साल भर में कुलपति आवास में रंग-रोगन के नाम पर तीन बार लाखों रुपये का फंड निकाला गया है, जो चौंकाने वाला है।
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रिपोर्ट में बताया गया है कि कुलपति के कार्यालय में स्नैक्स इत्यादि पर लगभग 8 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। वह भी उस समय जब कोरोना के कारण लंबे समय तक विश्वविद्यालय कार्यालय बंद रहे या लोगों का आना-जाना प्रतिबंधित रहा। जांच में यह खर्च अनावश्यक एवं दोषपूर्ण पाया गया।ज्ञात हो कि यह राशि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों एवं उनके पठन-पाठन पर खर्च करने के लिए है, लेकिन वीसी रहे मुकुल नारायण देव ने इस पैसे से खुलकर बिलासीता की। यह भी पाया गया है कि चार माह के अंतराल में विश्वविद्यालय के पैसे से दोबारा मोबाइल फोन खरीदा गया। कंप्यूटर की सुविधा रहने के बावजूद इस मद में भारी भरकम खर्च किये गये. भुगतान दुकान को नहीं किया गया हैं। भुगतान अधिकारी के खाते में किया गया है. खरीदे गये सामान को भंडार पंजी में अंकित नहीं किया गया है। इसी प्रकार कुलपति आवास में सीसीटीवी लगाये जाने में भारी खर्च किया गया है। यात्रा भत्ता के खर्च में भी अनियमितता पायी गयी है।