भारतीय रेल की बहुप्रशंसित और मेक इन इंडिया पहल की प्रतीक ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर चेतावनी सामने आई है। द हिंदू अखबार के अनुसार, इस अर्ध-उच्च गति वाली ट्रेन के आगे का डिब्बा पारंपरिक इंजनों की तुलना में हल्का होता है, जिससे किसी भी प्रकार की रुकावट — विशेष रूप से मवेशियों की टक्कर — उच्च गति पर गंभीर दुर्घटना में बदल सकती है। रिपोर्ट रेलवे सुरक्षा आयोग (Commission of Railway Safety), नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा तैयार की गई है, जो रेलवे में उच्च गति की ट्रेनों के संचालन के संदर्भ में आवश्यक सुरक्षा उपायों को बताती है ।
रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें:
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मजबूत बाड़बंदी: रेल मंत्रालय को सुझाव दिया गया है कि वह रेलवे ट्रैक के किनारे मजबूत बाड़ लगवाए ताकि मानव और पशु अवरोध को रोका जा सके।
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लेवल क्रॉसिंग का उन्मूलन: जहां ट्रेनें 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाई जा रही हैं, वहां मानवरहित फाटकों को समाप्त किया जाना चाहिए।
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RPF की तैनाती और निगरानी: नियमित रूप से मवेशियों के आने-जाने वाले क्षेत्रों की पहचान कर वहाँ रेलवे सुरक्षा बल (RPF) को तैनात किया जाए, साथ ही किसानों के लिए अंडरपास या सबवे की सुविधा दी जाए।
निर्माण और संचालन:
वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी (ICF), कपूरथला और रायबरेली की आधुनिक फैक्ट्रियों में किया जा रहा है।
26 दिसंबर, 2024 तक कुल 136 वंदे भारत ट्रेन सेवाएं देशभर में चालू थीं, जिनमें से 62 ट्रेनें केवल वर्ष 2024 में शुरू की गईं।
पशु टक्कर की घटनाएं:
रिपोर्ट के अनुसार, वंदे भारत एक्सप्रेस के सामने वाले डिब्बे में पशु टक्कर की कई घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे ट्रेन को नुकसान पहुँचा है। रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि उच्च गति पर ऐसी टक्करों से गंभीर हादसे हो सकते हैं।‘द हिंदू’ की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में कहा गया है कि वंदे भारत ट्रेन का अगला डिब्बा, सामान्य रेलगाड़ियों के इंजन यानी पहले डिब्बे की तुलना में काफी हल्का होता है। जिससे तेज स्पीड में मवेशी से टकराने पर भी गंभीर दुर्घटना हो सकती है। यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब रेलवे कई रूट्स पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वंदे भारत ट्रेनें चलाने की योजना बना रहा है।
तेज रफ्तार के खतरे
रेलवे द्वारा गति को 130 किमी/घंटा से बढ़ाकर 160 किमी/घंटा करने की योजना है, जिसके साथ कई नई स्थायी गति सीमाएं (speed restrictions) लागू की गई हैं। यह स्थिति लोको पायलटों के लिए मानसिक तनाव उत्पन्न कर सकती है। रिपोर्ट में इन गति सीमाओं को कम करने के लिए ट्रैक डिज़ाइन सुधारने, वक्रों को सीधा करने और यार्ड लेआउट को सरल बनाने की सिफारिश की गई है।