रांची: देशभर में NEET परीक्षा को लेकर विवाद चल रहा है। अच्छे मॉर्क्स लाने पर भी छात्रों को अच्छा रैंक नहीं मिल पाया है। नाराज और परेशान छात्रों के प्रदर्शन के आगे आखिरकार NTA को झुकना पड़ा और एनटीए ने इसको लेकर समिति का गठन कर दिया।
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5 मई को देशभर के करीब 24 लाख छात्रों ने नीट यूजी की परीक्षा दी थी, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) पर लाखों युवाओं के लिए देश के सबसे टफ परीक्षा को सुचारू ढंग से कराने की जिम्मेदारी थी, लेकिन रिजल्ट आने के बाद एनटीए की साख पर ही सवाल खड़े होने लगे। शनिवार को रांची में बायोम मेडिकल कोचिंग समेत कई कोचिंग संस्थानों के छात्रों ने अपनी परेशानियों को लेकर प्रदर्शन किया और अपने भविष्य को लेकर फैले अनिश्चितता को लेकर अपना विरोध जताया। बायोम कोचिंग के छात्र श्रेयस जैन ने बताया कि मेरा स्कोर 664 है और इसमें मेरा रैंक है 18655 , इसी मॉक्स पर पिछली साल रैंक था करीब 3900 के आसपास, इतनी गिरावट एक साल में कैसे हो गया मुझे जानना है, इतने बच्चे कहां से आ गए कि 15-15 हजार रैंक बढ़ जाए। मै अपने मॉक्स से संतुष्ट नहीं हूं, पिछले साल इस मॉक्स पर मेरे एम्स के चांस थे, इस साल तो स्टेट कॉलेज के लिए सोचना पड़ रहा है, इतना हाई कटऑफ कैसे जा सकता है। मै ग्रेस मॉक्स के बिल्कुल ही खिलाफ हूं। नीट रिजल्ट में 720 में से 715 अंक लाने वाले केशव सौरभ सामदर्शी का कहना है कि इतने अच्छे मार्क्स लाने पर भी एनटीए रैंक अच्छी नहीं दे रहा, एनटीए ट्रांसपेरेंसी नहीं दिखा रहा, केवल खुद को डिफेंड कर रहा है कि पेपर लीक नहीं हुआ है। सभी को ग्रेस मार्क्स दिए जा रहे हैं, जिनके 613 मार्क्स थे उन्हें 720 मार्क्स दे दिए गए हैं। केशव और उनके साथ खड़े उम्मीदवार एनटीए से ट्रांसपेरेंसी के साथ फिर से रिजल्ट जारी करने और सभी के OMR शीट्स रिलीज करने की मांग कर रहे हैं।
लगातार विरोध के बाद NTA ने किया समिति का गठन
एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह ने नीट परीक्षा विवाद पर शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि उम्मीदवारों ने कुछ मुद्दे उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह दुनिया या देश की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा है, जो एक ही पाली में होती है, जिसमें लगभग 24 लाख उम्मीदवार और 4,750 केंद्र थे। इस परीक्षा का पैमाना सबसे बड़ा है। लगभग छह केंद्रों पर प्रश्नपत्रों के गलत वितरण के कारण लगभग 16,000 उम्मीदवार प्रभावित हुए। उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि उन्हें कम समय मिला। हमने उच्च न्यायालय में जवाब दिया है कि हमने विशेषज्ञों की एक शिकायत निवारण समिति बनाई है। यह समिति केंद्र से रिपोर्ट, सीसीटीवी फुटेज सहित समय की बर्बादी के विवरण पर गौर करेगी। समिति में यूपीएससी के पूर्व अध्यक्ष और अन्य शिक्षाविद शामिल हैं। समिति एक हफ्ते के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। उसके बाद फैसला लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हमने सभी चीजों का पारदर्शी तरीके से विश्लेषण किया और नतीजे घोषित किए। 4,750 केंद्रों में से समस्या सिर्फ छह केंद्रों तक सीमित थी और 24 लाख उम्मीदवारों में से सिर्फ 1,600 उम्मीदवार प्रभावित हुए। पूरे देश में इस परीक्षा की शुचिता से समझौता नहीं किया गया। हमने अपने सिस्टम का विश्लेषण किया और पाया कि कोई पेपर लीक नहीं हुआ।